बालक आश्रम मरईगुड़ा (वन) के छात्रों की समसयों का भंडारण
शौचालय के लिए जंगल जाने को आश्रम के बच्चे हैं मजबूर
दैनिक मूक पत्रिका सुकमा – छत्तीसगढ़ के सुकमा जिला में आज भी शिक्षा की हालत पर बदलाव नहीं है। सुकमा जिला, कोंटा ब्लॉक के समीप बालक आश्रम मराईगुडा (वन) में अध्ययन करने वाले विद्यार्थियों की स्थिति कुछ इस तरह हैं कि आप देखकर हैरान हो जाएंगे। यहां पर पढ़ाई लिखाई एवं स्वच्छता से लेकर राशन पानी और शौचालय तक का विभिन्न परेशानियों को झेलने पर छात्रों है मजबूर यहा लगभग दर्ज बच्चो को संख्या 50 है जो दो बड़े चयन कक्ष में चयन करते हैं, और बच्चो की चयन कक्ष पहला में मात्र एक बल्ब है।, आश्रम पंका है पर पूरी तरह ध्वस्त है तथा चयन कक्ष दूसरा में दो बल्ब है और एक पंखा है, बाकी सभी बल्ब पंखा खराब है। एक बल्ब से रात के समय बच्चे कैसे पढ़ाई करते होंगे यह सोचने वाली बात है, और शौचालय के लिए जंगल जाने को मजबूर है बच्चे । छात्रों ने बताया की शौचालय के लिए जंगल जाते हैं या तो पड़ोसी में स्थित बालक आश्रम गंगलेर की बाथरूम का उपयोग करते है । यहां की शौचालय पूरी तरह से खंडहर हो चुकी है और कभी भी शौचालय सफाई नही की गई। आपको बता दूं कि । एक ही थाली में दो बच्चे खाना खाते भी नजर आए और कही बच्चे तो बिना दाल सब्जी के भोजन करते हुए भी दिखाई दिए। विद्यार्थियों की इस हालत को असली जिमेदार अधीक्षक है जो की अनदेखा करना कितनी बड़ी लापरवाही है इसका अंदाजा आप ही लगा सकते हैं। विगत कुछ दिन पहले इसी क्षेत्र बालक आश्रम किस्टाराम में पीलिया के बीमारी से एक छात्र की मृत्यु हुई थी। इस तरह जिम्मेदार व्यक्तियों की लापरवाही के कारण ही बच्चो की मृत्यु तक हो जाती है और इसे लेकर जरा भी अलर्ट नही होते अधीक्षक और अंदरूनी बच्चो की जिंदगी के साथ खिलवाड़ का खेल खेला जाता जाता हैं। जिले के अधिकारी भी मौन बैठे हैं अधीक्षको को खुला छूट दे दिया है बच्चों के जिंदगी के साथ खिलवाड़ करने के लिए।।