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*प्रत्येक मन्दिर में स्वयं का गोशाला होना प्रसाद की शुद्धता के लिये आवश्यक – पुरी शंकराचार्य*

 

*दैनिक मूक पत्रिका रायपुर* – सभी धमों के पूर्वज वैदिक आर्य सनातनी हिन्दू ही थे। विश्व में दो सौ चार देश हैं , इनमें इनमें चौवन – पचपन देशों में हिन्दू रहते हैं। जिस दिन भारत को हिन्दू राष्ट्र घोषित कर दिया जायेगा , उसी दिन दस – ग्यारह और भी देशों में हिन्दू राष्ट्र अभियान शुरू हो जायेगा। कुछ समय पहले ही मॉरिशस के प्रधानमंत्री ने बयान दिया था कि उन्हें उस दिन का बेसब्री से इंतजार है जब भारत खुद को हिंदू राष्ट्र घोषित करेगा। उक्त बातें ऋग्वेदीय पूर्वाम्नाय श्रीगोवर्द्धनमठ पुरीपीठाधीश्वर अनन्तश्री विभूषित श्रीमज्जगद्गुरु शंकराचार्य स्वामी श्रीनिश्चलानन्द सरस्वतीजी महाराज ने अपने छत्तीसगढ़ प्रवास के दौरान श्रीसुदर्शन संस्थानम् में पत्रकारों से चर्चा करते हुये कही। प्रदेश और देश में बढ़ते अपराध को लेकर किये गये सवाल के जवाब में उन्होंने कहा कि देश में चुनाव की प्रक्रिया के आधार पर अपराध को रोकना मुश्किल है , कोई भी व्यक्ति सांसद विधायक तब बनता है जब उनका अराजक तत्वों से गठबंधन हो। अपराधियों को सत्ता और विपक्ष संरक्षण देना बंद कर दे तो अपराध होना स्वयं कम हो जायेगा। पीएम मोदी , सीएम योगी और मोहन भागवत मुझे दबाने के लिये आतंकवादी को देश – विदेश में शंकराचार्य बनाकर घुमा रहे हैं इसलिये इनके भी दण्डित होने का मार्ग प्रशस्त होना चाहिये , दरोगा के शह पर चोर बढ़े तो रोकेगा कौन ? शंकराचार्यजी ने यह भी कहा कि भारत में जब हमें न्याय नही मिल रहा है तो और किसे न्याय प्राप्त होगा ? मुझे अगर एक लाख इंद्र भी दबोचना चाहे तो दबोच नही सकते , इन्हें ऐसा शंकराचार्य चाहिये जो इनके हां में हां मिलाये और यह कभी संभव ही नही है। इसके साथ ही शंकराचार्यजी ने दुष्कर्म के आरोपियों को सजा देने के सवाल पर कहा कि ऐसे लोगों को दुर्योधन और दु:शासन की तरह कठोर सजा मिलनी चाहिये। उन्होंने कहा कि मातृशक्ति पर दुनियां टिकी है फिर भी महिलाओं के साथ बर्बरता के मामले बढ़ रहे हैं , इसके लिये सामाजिक व्यवस्था में आ रहे बदलाव और आज की शिक्षा प्रणाली भी दोषी है। जब दुर्योधन ने द्रौपदी का अपमान किया था। उसका क्या अंजाम हुआ यह पूरी दुनियां जानती है। महिलाओं को उत्पीड़ित करने वालों को दंडित किया जाये। तिरुपति मंदिर में प्रसाद में मिलावट में उपजे विवाद पर शंकराचार्च ने कहा कि सत्ता लोलुपता की वजह से ऐसी स्थिति पैदा हुई है , अराजक तत्वों का सभी क्षेत्रों में प्रवेश हो चुका है। धार्मिक क्षेत्रों में भी उनका प्रवेश हो चुका है , यह हिंदू धर्म को विलुप्त करने की कोशिश है। अपवित्र सामान का मिलावट हो रहा है। आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल को शासन तंत्र ने अपने हाथ में ले लिया है , जिसके चलते ये दिशाहीन हो गई है। देवी-देवताओं के मंदिर में उलंघन हो रहा है , दिशाहीन व्यापारियों का धार्मिक स्थल में प्रवेश हो चुका है। मंदिरों में खुलेआम बाजार में मिलने वाले सामानों का प्रयोग हो रहा है , ऐसे में मिलावट होना लाजमी है। वेदों में प्रसाद को लकर साफ-साफ कहा गया है कि भगवान का नैवेद्य-प्रसाद बनाने में वेदलक्षणा गौ के दूध और घी का उपयोग होना चाहिये। तिरुपति बालाजी मंदिर के प्रसाद में मिलावट मामले को लेकर पुरी शंकराचार्य ने केंद्र और राज्यों की सरकारों पर निशाना साधा है। उन्होंने प्रसाद में मिलावट की उच्चस्तरीय जांच की मांग करते हुये कहा कि मंदिरों पर सरकार के नियंत्रण के कारण ही प्रसाद में मिलावट जैसा जघन्य अपराध हुआ है। मंदिरों के मौलिक अधिकार उन्हें वापस मिलने चाहिये , हर मंदिर के प्रबंधन को वहां पूजा से लेकर प्रसाद की व्यवस्था करने तक का अधिकार होना चाहिये। साथ ही ऐसा कहीं ना फिर ना हो इसके लिये प्रत्येक मंदिरों में आवश्यक रूप से गौशाला होनी चाहिये , जिससे भगवान के प्रसाद के लिये बाहर से दूध-घी लाने की जरूरत ना पड़े और शुद्धता से समझौता ना हो। कथावाचक प्रदीप मिश्रा का दुष्कर्मियों को जला देने वाले बयान पर स्वामी निश्चलानंद सरस्वती ने कहा कि हाथी से हल नहीं जुतवाया जाता है , मुझको उस वक्तव्य पर प्रतिक्रिया नहीं करना है। शंकराचार्य किसी कथावाचक पर बोले ये ठीक नहीं लगता है , इस विषय पर कथा कराने वालों से पूछिये कि ऐसे व्यक्ति से कथा क्यों करवाते हैं ? गोसंरक्षण के बारे में पूछे गये सवाल के जवाब में पुरी शंकराचार्यजी ने देश भर में गोमाता के संरक्षण को जरूरी बताते हुये कहा कि कृत्रिम दूध के कारण आज गाय की उपयोगिता नहीं रह गई। स्वस्थ क्रांति के लिये यह जरूरी है कि एक जिले में पांच विभाग हो। प्रत्येक जिला में गायों के संरक्षण के लिये पच्चीस एकड़ भूमि गोचर के रूप में सुरक्षित रखा जाये , तभी देश भर में गो हत्या रुक सकती है। आज गोमाता को चारा नहीं मिल रहा , इससें बड़ी विडंबना और क्या होगा।गौरतलब है कि राष्ट्रोत्कर्ष अभियान के तहत चार दिवसीय प्रवास पर पुरी शंकराचार्यजी का 23 सितम्बर को मुम्बई हावड़ा मेल से रायपुर रेल्वे स्टेशन में मंगलमय पदार्पण हुआ। यहां रेल्वे स्टेशन में स्वागत पश्चात वे सड़क मार्ग से रावाभांठा स्थित शंकराचार्य आश्रम पहुंचें। राजधानी रायपुर रावाभांठा स्थित शंकराचार्य आश्रम में पुरी शंकराचार्यजी 23 सितम्बर से 26 सितम्बर तक निवासरत रहेंगे। रायपुर में आयोजित कार्यक्रम पश्चात 26 सितम्बर रात्रि में रेलमार्ग द्वारा अम्बिकापुर प्रस्थान होगा। वहां 29 सितम्बर तक सनातनी भक्त वृन्द निर्धारित समय में हरि मंगलम बीएसएनएल आफिस के पास (नया बस स्टैण्ड) अम्बिकापुर में दर्शन , दीक्षा , संगोष्ठी का लाभ प्राप्त कर सकते हैं। वहीं 29 सितम्बर को महाराजश्री पूर्वान्ह ग्यारह बजे से नारायणी परिसर खरसिया रोड , रिलायंस पेट्रोल पंप के पास विशाल धर्मसभा को संबोधित करेंगे। यहां आयोजित सभी कार्यक्रमों की समाप्ति पश्चात अम्बिकापुर से 29 सितम्बर रात्रि में प्रस्थान कर 30 सितम्बर प्रात: अपने दो दिवसीय प्रवास पर न्यायधानी बिलासपुर पहुंचेंगे। बताते चलें कि पुरी शंकराचार्यजी के हिन्दू राष्ट्र निर्माण यात्रा कार्यक्रम के तहत प्रात:कालीन सत्र में दोपहर बारह बजे से दर्शन , दीक्षा तथा सायं साढ़े पांच बजे दर्शन लाभ , संगोष्ठी का पुन: सुअवसर प्राप्त होता है। धर्मसंघ पीठपरिषद् , आदित्यवाहिनी – आनन्दवाहिनी छत्तीसगढ़ इकाई ने उपरोक्त कार्यक्रमों में सभी सनतनी भक्त वृन्द को सपरिवार – इष्ट मित्रों के साथ उपस्थित रहकर हिन्दू राष्ट्र निर्माण तथा भव्य भारत की संरचना जैसे पुण्य कार्य में अपनी सक्रिय सहभागिता सुनिश्चित करने की अपील की है। इसकी जानकारी श्रीसुदर्शन संस्थानम् , पुरी शंकराचार्य आश्रम के मीडिया प्रभारी अरविन्द तिवारी ने दी।

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