*दैनिक मूक पत्रिका सक्ति रेट* – ठीक एक साल पहले, 3 अक्टूबर की रात के लगभग 11:00 बजे, मैं एक भीषण कार दुर्घटना का शिकार हुआ था। उस समय, मैं कार की सामने की पैसेंजर सीट पर बैठा था और अचानक एक हादसे में घायल हो गया। दुर्घटना इतनी गंभीर थी कि मुझे तुरंत बिलासपुर के अपोलो हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया। कई घंटे तक मेरी स्थिति नाजुक रही और जब मैंने होश संभाला, तो मेरा अनुभव असाधारण रूप से विचलित करने वाला था।
दुर्घटना के कारण मेरे सिर पर गंभीर चोट लगी थी, जिसके चलते मैं ‘गजनी’ फिल्म के किरदार जैसा महसूस कर रहा था—हर कुछ मिनटों में याद्दाश्त खो देता था। लोगों और घटनाओं को तुरंत भूल जाने लगा था, मानो मेरे मस्तिष्क में कुछ भी स्थायी नहीं रह पा रहा हो। यह दौर मेरे जीवन का सबसे कठिन समय था।
मेरे प्रियजनों का अटूट समर्थन
इस कठिन समय के दौरान, मेरे परिवार और प्रियजनों ने मेरा जिस तरह से ख्याल रखा, वह शब्दों से परे है। मैं अपनी पहचान भी नहीं कर पा रहा था, लेकिन मेरे परिवार और मेरे प्रियजनों ने मुझे कभी अकेला नहीं छोड़ा। वे दिन-रात मेरे साथ रहे, हर कदम पर मेरा समर्थन किया, मेरे उपचार और मेरी भावनाओं को संभाला। उनके समर्पण और अटूट प्रेम ने मुझे इस कठिन दौर से गुजरने में मदद की। उनके बिना यह संघर्ष शायद मेरे लिए और भी कठिन होता।
दुआएं और उपचार
आज, मैं सभी की दुआओं और चिकित्सा उपचार की बदौलत सुरक्षित और स्वस्थ महसूस कर रहा हूँ। डॉक्टरों की टीम ने मेरी देखभाल में कोई कसर नहीं छोड़ी और मेरे परिवार मेरे प्रियजनों के साथ मिलकर मुझे जीवन की नई दिशा दी। उनका धन्यवाद, जो न सिर्फ मेरे स्वास्थ्य को पुनः स्थापित करने में, बल्कि मुझे मानसिक रूप से भी संबल प्रदान करने में अहम भूमिका निभाई।
आभार और धन्यवाद
मैं अपने परिवार, मित्रों और उन सभी लोगों का दिल से आभार व्यक्त करता हूँ, जिन्होंने इस कठिन समय में मेरा साथ दिया। आपके समर्थन के बिना यह सफर इतना आसान नहीं होता। मैं उन सभी का कृतज्ञ हूँ, जिन्होंने मेरे लिए प्रार्थनाएँ कीं और मेरे साथ खड़े रहे।
इस दुर्घटना ने मुझे यह सिखाया है कि जीवन कितना अनिश्चित हो सकता है, लेकिन साथ ही यह भी कि प्रेम और समर्थन से हम सबसे कठिन परिस्थितियों का सामना कर सकते हैं। मैं आजीवन उन लोगों का ऋणी रहूँगा जिन्होंने इस सफर में मेरा साथ दिया।