जहाँ करवा चौथ नही मनाया जाता
दैनिक मूक पत्रिका मथुरा वृंदावन — आज देश भर में अपने पति की लंबी आयु और सुखद दाम्पत्य जीवन के लिये सौभाग्यवती स्त्रियाँ करवा चौथ का व्रत रखेंगी। लेकिन मथुरा जिला मुख्यालय से लगभग चालीस किलोमीटर दूर माँट तहसील के अन्तर्गत आने वाले कस्बा सुरीर के बघा मुहल्ले में महिलायें ना तो करवा चौथ का व्रत रखती हैं , ना कोई श्रृंगार करती हैं और ना ही पूजा करती हैं। स्थानीय बुजुर्गों के अनुसार आज से लगभग दो सौ वर्ष पूर्व से ही यहाँ करवा चौथ का व्रत नहीं रखा जाता। क्योंकि उस समय नजदीक गांँव रामनगला से एक ब्राह्मण युवक अपनी ससुराल से अपनी पत्नी को विदा कराकर बघा मोहल्ले होते हुये भैंसा गाड़ी से गांँव लौट रहा था। तभी इस मुहल्ले के लोगों ने उन्हें रोक लिया और भैंसा को अपना बताने लगे। लेकिन उस युवक ने कहा कि यह भैंसा उन्हें ससुराल से विदाई में मिला है। गांँव वालों ने उसकी एक ना सुनी और इस झगड़े में मोहल्ले के लोगों ने उस युवक की हत्या कर दी। अपनी पति को मृत पड़ा देख पत्नी ने श्राप दिया कि जिस तरह वह अपने पति के लिये बिलख रही हैं, उसी तरह से उनकी पत्नियाँ भी बिलखेंगी , यह श्राप देने के बाद महिला भी पति के साथ सती हो गयी। अब इसे सती का श्राप कहें या बिलखती पत्नी के कोप का कहर इस श्राप के बाद से ही मोहल्ले में अनहोनी शुरू हो गयी। अनेकों नवयुवक काल की गाल में समाते चले गये और उनकी पत्नी विधवा होती गई। ऐसे में वहांँ के बुजुर्गो ने इसे सती का श्राप माना और उनसे क्षमा मांँगी। यहाँ के लोगों ने सती के क्रोध को शांत करने और उनकी पूजा-अर्चना के लिये मंदिर की स्थापना भी करायी। इस मंदिर में एक प्रतिमा में सती माता अपने पति के शव को गोद में लिटाकर आग की लपटों के बीच बैठी दिखाई देती हैं। गाँव के एवं आसपास के लोग हर सुख दु:ख में आज भी इस मंदिर में पूजा करने आते हैं। यहाँ के बुजुर्गों द्वारा बताया जाता है कि सती ने जिस समय सुरीर के बघा मोहल्ले के लोगों को श्राप दिया था, उस समय अपनी ससुराल पक्ष यानि रामनगला के ग्रामीणों को भी सुरीर की सीमा में पानी नहीं पीने की हिदायत दी थी। सती ने यह भी कहा था कि यदि कोई ऐसा करता है तो उसे गंमीर परिणाम भुगतना पड़ेगा। सती के उस वचन को मानते हुये आज भी रामनगला गांँव के ग्रामीण सुरीर से होकर गुजरते तो हैं , लेकिन यहांँ का पानी नहीं पीते और कुछ ऐसा ही रामनगला गांव के लोगों का भी मानना है।