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दैनिक मूक पत्रिका में प्रकाशित खबर का असर

रंग लायी पत्रकारो की मुहिम, आरक्षक पर हुआ लाइन अटैच की कार्यवाही...

रंग लायी पत्रकारो की मुहिम, आरक्षक पर हुआ लाइन अटैच की कार्यवाही…
जांजगीर चाम्पा/ मूक पत्रिका। विभिन्न आरोपों से घिरे चाम्पा थाने के आरक्षक को पुलिस लाइन में अटैच कर दिया गया है। उस पर हाल ही मे जबरदस्ती शराब बिक्री कराने, अवैध वसूली व प्रताडित करने का गंभीर आरोप लगाते हुए पुलिस अधीक्षक से शिकायत हुई थी। जिसके बाद सजा के तौर पर यह बडी कार्यवाही की गई है। दैनिक समाचार मूक पत्रिका में आरक्षक के अवैध  कारोबार को उजागर करते हुए प्रमुखता से प्रकाशित किया गया था। आखिरकार पत्रकारों की मुहिम रंग लाई है। आरक्षक शंकर राजपूत को लाइन अटैच कर दिया गया है। उसपर कई अवैध कारोबार कराने से लेकर लोगो को प्रताड़ित करने का गंभीर आरोप है। इस कार्यवाही के बाद आतंकित हो चुके चाम्पा नगर वासी अब पुलिस पर शायद भरोसा कर सकेंगे। नगर के थाने में पदस्थ आरक्षक को उसके गलत कामो की वजहों से पुलिस अधीक्षक के 11 नवंबर 2024 के आदेश के अनुसार लाइन अटैच कर दिया गया है। उसके रहते कई अवैध कामों को जहां संरक्षण मिला था, वहीं आम लोग प्रताड़ित भी हो रहे थे। ऐसा ही एक शिकायत प्रताड़ना से त्रस्त होकर पुलिस अधीक्षक से हुई, जिसपर बड़ी कार्यवाही की गई है। उसके रहते क्षेत्र मे कई अपराधों को बढ़ोतरी मिल रहा था। खनिज के अवैध तस्करी को बढ़ावा देते हुए वसूली का खेल इसके द्वारा लगातार कराए जा रहे थे। इसके अलावा जिस थाने में पदस्थ रहे वहां वर्दी का रौब दिखाकर दुकानदारों से खरीदी किए और पैसे नही दिए। साथ ही किराए के मकान में रहते हुए उनके भी पैसों को चंपत किया गया है। ऐसे कई मामलों मे लोगो ने सामने आकर शिकायत भी किया था। जिसके बाद कुछ लोगो के पैसे देने पड़े थे। वहीं जो सामने नही आए उनके पैसे आज भी डूबे हुए है। चाम्पा में रहते हुए इस तरह के कई गुल खिलाए है, जिसका चर्चा गली मोहल्ले में होता है। इसके पहले बलौदा में पदस्थ रहने के दौरान वहां भी दुकानों से खरीदी का और किराए के पैसे नही देने की बाते वहां के रहवासियों के जुबान से सुनने को आया है। साथ ही वहां जुआ, कोयला जैसे अवैध कारोबारों को भी बढ़ावा दिया जाता रहा है। पुलिस अपराधों औऱ अवैध कारोबार पर लगाम लगाती है लेकिन इसके द्वारा अपनी वसूली के उद्देश्य से सिर्फ बढ़ावा ही नहीं दिया गया बल्कि लोगो को मजबूर कर गलत काम भी कराए जाते है। इसका आरोप लगाते हुए एक शिकायत पुलिस अधीक्षक से सबूत के साथ की गई है।

चाम्पा थाने से इतना लगाव रहा की तबादले के बाद भी जमे रहे –
इस आरक्षक का तबादला पहले ही बलौदा थाने में किया जा चुका था। बावजूद इसके वह यहां से टस से मस नही हुआ। थाने के जिम्मेदार अधिकारियों ने भी इसे संज्ञान में नहीं लिया। बताया जाता है की यहा के अफसरों का सह भी मिला था तभी तबादला के बाद भी वह यहां जमा रहा। सवाल तो यह भी उठ रहा है की आखिर ऐसा क्या लगाव रहा चाम्पा से कि तबादले के बाद भी यहाँ जमे रहे।

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