रक्तदान से शरीर में ताजगी व ऊर्जा का विकास -नीतू कोठारी
सीपीआर की प्रक्रिया से प्रशिक्षित होकर लोगों का बचाएं जीवन- डॉ. संतोष साहू
दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा – समाधान महाविद्यालय में आठवीं बार रक्तदान शिविर का आयोजन राष्ट्रीय सेवा योजना एवं रेडक्रॉस सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में रक्तदान शिविर का आयोजन सम्पन्न । सर्वतोमुखी समाधान शिक्षा संस्कार समिति द्वारा संचालित समाधान महाविद्यालय व समाधान आईटीआई, राष्ट्रीय सेवा योजना एवं रेडक्रॉस सोसाइटी के संयुक्त तत्वाधान में 8वीं बार रक्तदान शिविर का आयोजन हुआ। समिति की अध्यक्ष डॉ. अलका तिवारी ने बताया कि रक्तदान जीवन बचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता हैं। यह शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को मजबूत बनाता हैं। महाविद्यालय के डायरेक्टर डॉ. अवधेश पटेल एवं अविनाश तिवारी ने विद्यार्थियों को ब्लड डोनेशन के महत्व व फायदे से परिचित कराया। जिले के वार्ड नं. 11 की पार्षद एवं समाजसेवी नीतू कोठारी ने विद्यार्थियों को अभिप्रेरित करते हुए कहा कि वर्ष में तीन माह के अंतराल में ब्लड डोनेट जरूरतमंदों के लिए जरूर करें। रक्तदान से शरीर में स्व-स्फूर्त ऊर्जा का विकास व ताजगी आती हैं। जीवन में अच्छा कर्म अवश्य करें, इसका सुखद परिणाम निश्चित रूप से हमें अवश्य प्राप्त होता हैं। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में रायपुर के नवोदय हॉस्पिटल के फाउंडर एण्ड डायरेक्टर एवं सीनियर ऑर्थोपेडिक डिफॉर्मिटी करेक्शन सर्जन डॉ. संतोष साहू रहें। उन्होंने विद्यार्थियों को हेल्थ एंड हाइजीन एवं सीपीआर की प्रक्रिया पर अपने अनुभवों को साझा करते हुए बताया कि सीपीआर एक आपातकालीन प्रक्रिया है जो हृदय की गति रुकने या सांस लेने में परेशानी होने पर की जाती है। यह प्रक्रिया पीड़ित के शरीर में रक्त की आपूर्ति और ऑक्सीजन की पहुंच को बनाए रखने में मदद करती है, जिससे उनके जीवन को बचाया जा सकता है। सीपीआर की प्रक्रिया में पीड़ित के छाती पर दबाव डालना और उनके मुंह पर सांस देना शामिल है, जिसे 30:2 के अनुपात में दोहराया जाता है। सीपीआर के चरण शुरू करने से पहले, यह महत्वपूर्ण है कि आप पीड़ित की स्थिति की जांच करें और यह सुनिश्चित करें कि वे सांस नहीं ले रहे हैं और उनकी हृदय की गति नहीं है। इसके बाद, आप पीड़ित को पीठ के बल लिटा दें और उनके सिर को पीछे की ओर झुका दें। इसके बाद, आप पीड़ित के छाती पर दबाव डालना शुरू करें और उनके मुंह पर सांस दें। सीपीआर की प्रक्रिया को जारी रखना महत्वपूर्ण है, जब तक कि आपातकालीन सेवाएं नहीं पहुंचतीं। यदि आप सीपीआर के दौरान थक जाते हैं, तो किसी अन्य व्यक्ति को लेने का प्रयास करें जो सीपीआर को जारी रख सकता है। सीपीआर की प्रक्रिया को सही तरीके से करने के लिए प्रशिक्षण और अभ्यास की आवश्यकता होती है, इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि आप सीपीआर के बारे में जानकारी प्राप्त करें और इसके लिए प्रशिक्षित हों। इसके पश्चात स्वास्थ्य एवं स्वच्छता पर जागरूक रहने के लिए प्रेरित किया। हमें रात में खाने व सोने के मध्य 3 घंटे के अंतर होने से अवगत कराया। शिविर में सहयोगी संस्था के रूप में वंदेमातरम सेवा संस्थान (छ.ग) भारत, आशीर्वाद ब्लड बैंक रायपुर एवं लीनेस क्लब बेमेतरा ‘प्रेरणा’ रहें। रक्तदान करने वाले प्रतिभागियों को महाविद्यालय व आशीर्वाद ब्लड सेंटर के प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। अतिथियों को महाविद्यालय के प्रतीक चिन्ह, शॉल व श्रीफल से सम्मानित किया गया। विद्यार्थियों व शिक्षकों के रजिस्ट्रेशन व को-ऑर्डिनेशन में प्रशासनिक अधिकारी उमेश सिंह राजपूत, एनएसएस अधिकारी राजेश गजपाल,उपप्राचार्य लक्ष्मीनारायण साहू, सहायक प्राध्यापक नंदिनी वर्मा व योगेश्वर सिन्हा ने अपनी अहम भूमिका निभाई। शिविर में कुल 38 यूनिट संग्रहित करके आशीर्वाद ब्लड सेंटर को सौंप दिया गया। रक्तदान करने वाले दानदाताओं में से विद्यार्थियों में सौरभ वर्मा, रौनक, गिरिश आडिल, नितेश साहू, लीलाधर साहू, प्रगति यादव, होमिनी पात्रे, भूपेंद्र, किशन साहू, वेनु सोनकर, ज्ञानदास, अर्जुन पटेल, छन्नू, महेश्वर, मानसी नेताम, जीत सिंह, भावेश यादव, शिवम, दीपा ध्रुवे, नेतराम मंडावी, टिकेंद्र, हिमांशु, रवि किशन, जनक राम तथा शिक्षकों में गायत्री राजपूत, रानी साहू, तुकाराम जोशी, योगिता सोनी, रामेश्वर, नील कमल, कमलेश साहू, प्रशांत माथुर, डॉ. अवधेश पटेल,हिम कल्याणी सिन्हा,विनू साहू , सोनिया मलिक, लता तेजा एवं सुनीता हुड्डा, रहें। कार्यक्रम में समाजसेवी निराकार पाण्डेय,आईटीआई की प्राचार्य आशा झा, अधीक्षक आकाश हिरवानी एवं समस्त सहायक प्राध्यापक निधि तिवारी, संगीता अग्रवाल, विनीता अग्रवाल, डॉ. जी. डी.मानिकपुरी, स्वाति पटेल, प्रीति शर्मा, राजेश यादव, अंशु दत्ता,शुभम गजभिये, पूजा वर्मा, श्रद्धा राजपूत, योगिता सोनी, होरीलाल देवांगन, हुतेन्द्र कुमार सिन्हा,व धर्मपाल नोन्हारे सहित समस्त छात्र छात्राएं उपस्थित थें।