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पोस्टमार्टम के नाम पर वसुली… रिश्वतखोर डॉक्टर की करतूत

दो मासूमों की मौत पर कलेक्टर की सख्त कार्रवाई, बीएमओ निलंबित, संविदा डॉक्टर कार्यमुक्त…!

पीड़ित परिजनों को आपदा प्रबंधन के तहत 4-4 लाख रुपये की आर्थिक सहायता, शव वाहन के अभाव में बाइक पर ले जानी पड़ी लाशें..!

संवेदनशील मामलों में किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी”- कलेक्टर सरगुजा

“आदित्य गुप्ता”

अंबिकापुर- छत्तीसगढ़ के सरगुजा जिले के ग्राम सिलसिला में 18 मई को एक हृदयविदारक हादसे में दो मासूम बच्चों — सूरज गिरी और जुगनू गिरी (दोनों 5 वर्षीय और चचेरे भाई) — की तालाब में डूबने से मौत हो गई। यह तालाब मछली पालन हेतु बनाया गया था, परंतु सुरक्षा इंतज़ामों के अभाव ने मासूमों की जान ले ली।

दु:ख की इस घड़ी को और असहनीय बना दिया स्वास्थ्य तंत्र की अमानवीयता ने, जब मृत बच्चों के पोस्टमार्टम के लिए डॉक्टरों द्वारा परिजनों से 10-10 हजार रुपये की मांग की गई। इतना ही नहीं, शव वाहन की अनुपलब्धता के कारण परिजनों को मजबूरी में अपने बच्चों के शव बाइक पर ले जाने पड़े।

इस अमानवीय कृत्य और लापरवाही की खबर जब सरगुजा कलेक्टर श्री विलास भोसकर तक पहुँची, तो उन्होंने तुरंत सख्त और संवेदनशील रवैया अपनाया। प्रथम दृष्टया दोषी पाए जाने पर धौरपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र के खंड चिकित्सा अधिकारी (BMO) डॉ. राघवेंद्र चौबे को तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दिया गया। जांच में यह स्पष्ट हुआ कि डॉ. चौबे अपने अधीनस्थ स्टाफ पर नियंत्रण रखने में विफल रहे और यह आचरण छत्तीसगढ़ सिविल सेवा नियमों का उल्लंघन है। निलंबन अवधि में उनका मुख्यालय अम्बिकापुर CMHO कार्यालय निर्धारित किया गया है।

 

वहीं, प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र रघुनाथपुर में पदस्थ संविदा डॉक्टर डॉ. अमन जायसवाल को भी अपने कर्तव्यों के निर्वहन में लापरवाही का दोषी पाया गया। उन्हें तत्काल कार्यमुक्त कर रायपुर स्थित स्वास्थ्य सेवाओं के संचालक के समक्ष प्रस्तुत होने का निर्देश दिया गया है। कलेक्टर श्री भोसकर ने न केवल प्रशासनिक कार्रवाई की, बल्कि स्वयं मौके पर पहुँचकर रघुनाथपुर पीएचसी का निरीक्षण किया और पीड़ित परिवारों से मिलकर उन्हें ढांढस बंधाया। उन्होंने परिजनों से घटना की वास्तविक जानकारी ली और आपदा-प्रबंधन (RBC 6/4) के तहत प्रत्येक परिवार को 4-4 लाख रुपये की तत्काल आर्थिक सहायता प्रदान की।

कलेक्टर ने स्पष्ट कहा कि “संवेदनशील मामलों में किसी भी स्तर की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जाएगी। दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा और हर हाल में जवाबदेही सुनिश्चित की जाएगी।”

यह घटना न केवल एक प्रशासनिक कार्रवाई की मिसाल बनी है, बल्कि यह स्वास्थ्य व्यवस्था में जवाबदेही और संवेदनशीलता की आवश्यकता को भी उजागर करती है। जरूरत इस बात की है कि आने वाले समय में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति न हो और स्वास्थ्य सेवाओं में मानवीयता को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए।

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