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आपसी विवाद समाप्त कर हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन, बिखरा परिवार हुआ पुनः एक

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दैनिक मूक पत्रिका – भिलाई। राष्ट्रीय विधिक सेवा प्राधिकरण नई दिल्ली के निर्देशानुसार एवं छ.ग. राज्य विधिक सेवा प्राधिकरण बिलासपुर के मार्गदर्शन में तथा डॉ. प्रज्ञा पचौरी, प्रधान जिला न्यायाधीश/अध्यक्ष जिला विधिक सेवा प्राधिकरण दुर्ग के निर्देशन में जिला न्यायालय एवं तहसील व्यवहार न्यायालय में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया। जिसके तहत जिला न्यायालय दुर्ग, कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग, व्यवहार न्यायालय भिलाई-3, व्यवहार न्यायालय पाटन एवं व्यवहार न्यायालय धमधा तथा किशोर न्याय बोर्ड दुर्ग, श्रम न्यायालय दुर्ग, स्थायी लोक अदालत (जनोपयोगी सेवाएँ) दुर्ग राजस्व न्यायालय दुर्ग एवं उपभोक्ता फोरम दुर्ग में नेशनल लोक अदालत का आयोजन किया गया।

मामला कुटुम्ब न्यायालय के खंडपीठ क्र.1 पीठासीन अधिकारी गिरिजा देवी मेरावी, प्रधान न्यायाधीश कुटुम्ब न्यायालय दुर्ग के न्यायालय का है, जिसमें आवेदिका ने आवेदक के विरूद्ध भरण पोषण राशि दिलाने का मामला प्रस्तुत किया था। आवेदिका एवं अनावेदक का विवाह हिन्दू रीति रिवाज के अनुसार 27 जून 2020 को सम्पन्न हुआ तथा दो-चार माह बाद अनावेदक एवं ससुर द्वारा कम दहेज लायी हो कहकर बात-बात पर ताना मारकर मारपीट करने लगा, जिसके संबंध में सभी परिजनों को बुलाकर बैठक कराये जाने पर बैठक के बाद पुनः दहेज की मांग और बढ़ गयी और नवंबर 2024 को अनावेदक ने आवेदिका को उसके मायके छोड़ दिया। अनावेदक द्वारा भरण-पोषण हेतु ध्यान नहीं देने के कारण उसके पास जीवकोपार्जन की संकट आने से आवेदिका द्वारा मजबूर होकर अनावेदक के विरूद्ध भरण पोषण का मामला प्रस्तुत किया गया।

न्यायालय के द्वारा नेशनल लोक अदालत के अवसर पर पक्षकारों के मध्य सुलह कार्यवाही कराये जाने पर उभयपक्ष पुरानी बातों को भूलकर पृथक रह रहे दम्पत्ति साथ-साथ रहकर दाम्पत्य जीवन व्यतीत करने तैयार हो गये और अनावेदक द्वारा आवेदिका को घरेलू एवं अन्य खर्च हेतु प्रतिमाह 5000 रूपये देने के लिए स्वेच्छया तैयार हो गया। इस प्रकार सुलह सफल रही तथा लोक अदालत के माध्यम से बिखरा परिवार पुनः एक हो गया । आपसी विवाद समाप्त कर हंसी-खुशी वापस लौटे भाई-बहन

मामला खंडपीठ क्र. 13 के पीठासीन अधिकारी कामिनी जायसवाल. न्यायिक मजिस्ट्रेट प्रथम श्रेणी दुर्ग के न्यायालय का है, वर्ष 2021 से लंबित आपराधिक प्रकरण महज एक पारिवारिक विवाद से उपजा था। समय के साथ विवाद इतना बढ़ गया कि भाई-बहन के रिश्ते में दूरियां आ गई। भाई अपनी बहन के घर गया, जहां किसी छोटी से बात पर कहासुनी हो गई और बहस धीरे-धीरे गालीगलौच व मारपीट में तब्दील हो गई जिससे स्थिति और बिगड़ गई। विवाद इतना बढ़ गया कि पुलिस को हस्तक्षेप करना पड़ा और मामला न्यायालय में संस्थित हुआ। परिवार में बढ़ती दूरियां मुकदमें के चलते और बढ़ते चली गई तथा भाई-बहन के बीच बातचीत पूरी तरह बंद हो गया। जो रिश्ते कभी प्रेम और विश्वास के थे, वे कटुता और वैमनस्य में बदल गए। न्यायालय द्वारा मामले की प्रकृति को देखते हुए इसे नेशनल लोक अदालत में रखे जाने का निर्णय लिया गया। जो एक नई शुरुआत की उम्मीद से कर आया और उक्त संबंध में उभयपक्ष के नेशनल लोक अदालत के दिन न्यायालय में उपस्थित होने से न्यायालय द्वारा समझाईश दी गई कि आपसी विवादों को भूलकर रिश्तों को संजोना ही सही रास्ता है। सुलह की ओर एक कदम लोक अदालत की समझाईश का सकारात्मक प्रभाव पड़ा। भाई-बहन ने आपसी मतभेद भुलाकर एक-दूसरे से माफी मांगी। जो रिश्ते कड़वाहट से भरे थे वे फिर से प्रेम और विश्वास में बदल गए। दोनों मुस्कुराते हुए अपने घर लौटे, और वर्ष 2021 से लंबित यह मामला समाप्त हो गया।

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