
“अच्छे कर्म और अच्छी नियत”
अम्बिकापुर – सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय सुभाषनगर अंबिकापुर सरगुजा छत्तीसगढ़ में दो दिवसीय अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. श्रद्धा मिश्रा के मार्गदर्शन एवं संयोजक श्रीमती रानी रजक व सहसंयोजक श्रीमती प्रियलता जायसवाल के नेतृत्व में किया गया । अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन का मुख्य विषय “वैश्वीकरण में डिजिटल और भारतीय ज्ञान प्रणाली में इसकी उपयोगिता” था। इस विषय पर अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन करने का मुख्य उद्देश्य डिजिटल युग में भारतीय ज्ञान प्रणाली को वैश्वीकरण के साथ जोड़ना, भारत की समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करना और उसे आधुनिक जरूरत के अनुसार डालने का एक महत्वपूर्ण माध्यम है। इससे भारत वैश्वीकरण स्तर पर अपनी पहचान और प्रभाव को और सशक्त बना सकता है। कार्यक्रम में सर्वप्रथम सभी का पंजीयन कराया गया अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन कार्यक्रम के मुख्य अतिथि के रूप में श्री गिरीश कुमार गुप्ता जी एवं विशिष्ट अतिथि
कार्यक्रम में श्रीमती प्रतिमा त्रिपाठी जी सह व्यवस्थापिका, श्रीमती लक्ष्मी सिंह व्याख्याता डाइट अंबिकापुर, श्रीमती अमृता जायसवाल, सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय प्राचार्य डॉ. श्रद्धा मिश्रा,विभागाध्यक्ष श्रीमती रानी रजक एवं महाविद्यालय के समस्त सहायक प्राध्यापक व प्रशिक्षणार्थि उपस्थित रहे। साथ ही मुख्य वक्ताओं के रूप में श्री विवेक सक्सेना जी सचिव सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़,डॉ शिवनारायण सिंह जी सह प्राध्यापक (HOD) शिक्षा संकाय ICFAI यूनिवर्सिटी रायपुर , मनीषा शुक्ला सहायक प्राध्यापक पंडित शंभूनाथ शुक्ला विश्वविद्यालय शहडोल, श्री नागेंद्र कुमार जी प्रोफेसर शिक्षा संकाय बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी (ऑनलाइन माध्यम) उपस्थित रहे। कार्यक्रम का उद्घाटन सरस्वती माता की छायाचित्र के समक्ष दीप प्रज्वलित कर किया गया। पश्चात कार्यक्रम में उपस्थित सभी अतिथियों का स्वागत बैच लगाकर जीवन पौधा और श्रीफल देकर किया गया। कार्यक्रम का प्रारंभ स्वागत नृत्य एवं सांस्कृतिक कार्यक्रम से किया गया ।जिसमें सर्वप्रथम सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय के बीएड द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा स्वागत नृत्य प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात बीएड प्रथम वर्ष के प्रशिक्षणार्थियों द्वारा छत्तीसगढ़ी नृत्य प्रस्तुत किया गया। तत्पश्चात बीएड द्वितीय वर्ष के प्रशिक्षणार्थीयो द्वारा प्रेरणा नृत्य प्रस्तुत किया गया जिसका विषय
“अच्छे कर्म और अच्छी नियत”था।
तत्पश्चात मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित श्री विवेक सक्सेना जी सचिव सरस्वती शिक्षा संस्थान छत्तीसगढ़ ने अपने उद्बोधन में पारंपरिक भारतीय शिक्षा प्रणाली के एकीकरण में डिजिटल प्लेटफॉर्म की भूमिका विषय पर अपना वक्तव्य प्रस्तुत किए जिसमें उन्होंने बताया कि भारत ज्ञान का देश है, ज्ञान किसी भी वी तरह से प्राप्त हो सकता है,हर गतिविधि, कार्यक्रम व सत्संग से भी ज्ञान प्राप्त हो सकता है।उन्होंने यह भी बताया कि भारत में अलग अलग कालखंड से ही शिक्षा के क्षेत्र में परिवर्तन आए है और अनेक परिवर्तनों के बाद आज भारत क नई शिक्षा नीति 2020 तक पहुंच चुके है।तत्पश्चात कहानी के माध्यम उन्होंने बताया कि मैकाले की शिक्षा पद्धति को पूर्णतः समाप्त कर भारतीय शिक्षा प्रणाली को पूर्णतःआगे बढ़ना और भारतीय संस्कृति को पुनर्जीवित करना यही नई शिक्षा नीति 2020 है। तत्पश्चात उन्होंने बताया कि डिजिटल शिक्षा के माध्यम से हर क्षेत्र की शिक्षा प्राप्त की जा सकती है। उन्होंने बताया कि इस युवा पीढ़ी को जिन्हें डिजिटल प्लेटफॉर्म्स को जानना है समझना है और उसे एक उपकरण के रूप में उपयोग करना है। अंत मैं उन्होंने भारत को सोने की चिड़िया ( स्वर्ण भूमि)कहा है। हमारे यह सामूहिक प्रयास से निश्चित ही भारत को विश्व गुरु के आसन पर पुनः आसीन करेंगे साथ ही हम सोने की चिड़िया होने का गौरव भी अर्जित करेंगे। तत्पश्चात डॉ.मनीषा शुक्ला जी सहायक प्राध्यापक पंडित शंभू नाथ शुक्ल विश्वविद्यालय शहडोल ने अपने उद्बोधन में डिजिटल वैश्वीकरण और इसकी उपयोगिता भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत नैतिक मूल्यों का संरक्षण विषय पर अपने वक्तव्य में विभिन्न पक्षों को रखते हुए बताया कि हम भारत के विशाल पारंपरिक ज्ञान के प्रसार के लिए वैश्विक डिजिटल कनेक्टिविटी का उपयोग किस प्रकार से कर सकते हैं? उन्होंने बताया कि डिजिटल माध्यम से दुनिया भर के सूचना और विचारों का प्रवाह मुंबई से मेलबर्न तक के लोगों को दिल्ली से डबलिन तक के विद्वानों को तथा चेन्नई से कैलिफोर्निया तक के कलाकारों को वास्तविक समय में जोड़ता है। तत्पश्चात उन्होंने बताया कि सीमाओं और भाषाओं से परे विचार जल्दी ही वैश्विक स्तर पर साझा हो सकता है और किसी एक देश में किया गया अध्ययन या खोज नवाचार को प्रेरित कर सकता है। तत्पश्चात उन्होंने भारतीय ज्ञान प्रणाली के अंतर्गत बताया कि भारतीय उपमहाद्वीप में सहस्त्रशताब्दियों से विकसित ज्ञान का व्यापक भंडार जिसमें अध्ययन ,अभ्यास और दार्शनिक विचार के विविध क्षेत्र शामिल हैं यह सिर्फ एक संग्रह नहीं है बल्कि ज्ञान परंपराओं का एक समूह है जो पीढ़ियों से हस्तांतरित होता आया है । उन्होंने बताया कि भारत सरकार की आई.के.एस पहल से इसे स्वदेशी भारतीय ज्ञान प्रणालियों को बढ़ावा देने के रूप में परिभाषित करती है। तत्पश्चात उनके द्वारा आई. के.एस के मुख्य घटको को विस्तार से बताया गया। इसके उपरांत उन्होंने डिजिटल वैश्वीकरण द्वारा उत्पन्न चुनौतियों के विषय में विस्तार से बताया। अंत में उन्होंने वास्तविक दुनिया के उदाहरण और पहल के विभिन्न पक्षों को रखा। कार्यक्रम के अगले चरण में मुख्य वक्ता के रूप में डॉ. शिवनारायण सिंह जी सह प्राध्यापक ने अपने उद्बोधन में डिजिटल युग में नैतिक मूल्यों का संरक्षण विषय के अंतर्गत सर्वप्रथम डिजिटल मूल्य का अर्थ बताते हुए कहां की उन सिद्धांतों और व्यवहारों से है जो डिजिटल दुनिया में एक जिम्मेदार और सकारात्मक तरीके से कार्य करने के लिए निर्धारित किए गए हैं। तत्पश्चात उनके द्वारा मूल्य पर डिजिटल युग का प्रभाव के विषय में विस्तार से बताया गया। इसके उपरांत उन्होंने बताया कि डिजिटल युग में नैतिक मूल्यों के संरक्षण किस प्रकार किए जा सकते है। तत्पश्चात उनके द्वारा नैतिक दिशा निर्देशों और समय सहीनताओं की भूमिका को विस्तार से बताया गया। अंत में उनके द्वारा डिजिटाइजेशन से मूल्यों को कैसे बचाया जा सकता है ।इस विषय में विस्तार पूर्वक जानकारी दिए। तत्पश्चात मुख्य वक्त के रूप में श्री नागेंद्र कुमार जी प्रोफेसर बनारस हिंदू यूनिवर्सिटी कार्यक्रम में ऑनलाइन माध्यम से जुड़े उन्होंने अपने उद्बोधन में डिजिट प्लेटफॉर्म और भारतीय शिक्षा को विस्तार पूर्वक प्रस्तुत किया। जिसमें उन्होंने बताया कि डिजिटल प्लेटफार्म में सीखने को अधिक सुलभ समावेशी और अभिनव बनाकर भारत में शिक्षा में क्रांति ला दी है यह प्लेटफॉर्म पारंपरिक और आधुनिक शैक्षिक प्रथाओं के बीच की खाई को बांटने के लिए प्रौद्योगिकी का लाभ उठाते हैं यह सुनिश्चित करते हुए की शिक्षा सबसे दूर दराज के क्षेत्र तक भी पहुंचती है शिक्षा में डिजिटल उपकरणों के एकीकरण को कॉविड-19 महामारी ने और तेज कर दिया है जिसने लचीली और लचीली शिक्षा प्रणालियों की आवश्यकता पर प्रकाश डाला है। कार्यक्रम के अंतिम चरण में सरस्वती शिक्षा महाविद्यालय प्राचार्य डॉ.श्रद्धा मिश्रा जी द्वारा आभार व्यक्त किया गया।उन्होंने कहा कि आज इस अंतरराष्ट्रीय सम्मेलन के प्रथम दिवस के समापन के अवसर पर, मैं अपने महाविद्यालय की ओर से हृदय से आभार व्यक्त करती हूं यह सम्मेलन ज्ञान, शोध और विचारों के आदान-प्रदान का एक अनुपम मंच बना, और इसके सफल आयोजन का श्रेय आप सभी को जाता है।मैं विशेष रूप से हमारे मुख्य अतिथि, विशिष्ट वक्ताओं, आयोजन समिति के सदस्यों का आभार प्रकट करती हूं जिनकी कड़ी मेहनत और समर्पण से आज का यह सम्मेलन सफलतापूर्वक संपन्न हुआ।कार्यक्रम के दौरान प्राचार्य डॉ श्रद्धा मिश्रा, विभागाध्यक्ष श्रीमती रानी रजक,सहायक प्राध्यापक श्रीमती प्रियलता जायसवाल, श्रीमती उर्मिला यादव , श्री मिथिलेश कुमार गुर्जर, श्रीमती राधिका चौहान, सुश्री सविता यादव, सुश्री सीमा बंजारे, सुश्री पूजा रानी, सुश्री ज्योत्सना राजभर, श्रीमती गोल्डन सिंह,श्री अजीत सिंह परिहार,श्री नीतेश कुमार यादव एवं श्री सुंदर राम उपस्थित रहे।