*प्रेरणा विद्यालय के विद्यार्थियों का शैक्षणिक भ्रमण: एम्स रायपुर और अभ्युदय संस्थान अछोटी का दौरा*
*दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा* – बीते शनिवार को प्रेरणा विद्यालय, कठिया द्वारा हर साल की तरह इस वर्ष भी शैक्षणिक भ्रमण का आयोजन किया गया। इस भ्रमण में कक्षा 9 से 12वीं तक के विद्यार्थियों को राजधानी रायपुर स्थित अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) ले जाया गया। एम्स को पूरे भारत में सर्वोच्च मेडिकल अस्पताल और कॉलेज के रूप में जाना जाता है। इसकी स्थापना 1956 में स्वतंत्र भारत की पहली स्वास्थ्य मंत्री राजकुमारी अमृत कौर द्वारा की गई थी, जो एक प्रमुख स्वतंत्रता सेनानी भी थीं। वर्तमान में, पूरे देश में केवल 21 एम्स संचालित हैं। रायपुर में एम्स की स्थापना 2012 में प्रधानमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा योजना के अंतर्गत हुई थी। यह कॉलेज पूरे भारत में 38वें स्थान पर है और इसमें 43 डिपार्टमेंट संचालित होते हैं। यहां 22 विषयों में एमबीबीएस और बीएससी नर्सिंग की पढ़ाई होती है, लेकिन सीटों की संख्या केवल 125 है। छात्रों का मार्गदर्शन एम्स रायपुर के वरिष्ठ डॉक्टरों द्वारा किया गया। सीनियर रेजिडेंट डॉक्टर शक्ति दास और डॉक्टर लक्ष्मीकांत चौधरी ने छात्रों को माइक्रोबायोलॉजी और एनाटॉमी विभाग की विस्तृत जानकारी दी। विशेष रूप से एनाटॉमी म्यूजियम में मानव शरीर संरचना और शवों को संरक्षित करने की तकनीक की जानकारी दी गई, जहां 2012 से शवों को सुरक्षित रखा गया है। पैथोलॉजी विभाग में टिश्यू कल्चर और ट्यूमर की पहचान करने की प्रक्रिया भी समझाई गई। भ्रमण के अंत में, एम्स रायपुर की सुप्रीडेंसी डॉक्टर रेनू राजपूत ने छात्रों और स्कूल स्टाफ से मुलाकात की और सभी को उज्ज्वल भविष्य की शुभकामनाएं दीं। इसके बाद, विद्यार्थी और शिक्षक अछोटी स्थित अभ्युदय संस्थान पहुँचे, जिसकी स्थापना 2000 में हुई थी। अभ्युदय संस्थान जीवन विद्या के सिद्धांतों के आधार पर संचालित होता है। यहां के अभिभावक विद्यालय में नर्सरी से दसवीं तक की कक्षाएं चलती हैं, जो चेतना विकास और मूल्य शिक्षा पर केंद्रित हैं। इसके अलावा, संस्थान में ऑर्गेनिक फार्मिंग भी होती है, जिसमें हाइड्रोपोनिक्स तकनीक का उपयोग करके बिना मिट्टी के ग्रासवीट की खेती की जाती है। जिसके बारे में संकेत ठाकुर (कृषि वैज्ञानिक) ने जानकारी साझा की। इस शैक्षणिक भ्रमण ने छात्रों को न केवल मेडिकल क्षेत्र के प्रति जागरूक किया, बल्कि मानवीय मूल्यों और प्राकृतिक खेती की महत्ता से भी परिचित कराया।