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छत्तीसगढ़ की नई इको-रेस्टोरेशन नीति: पर्यावरणीय पुनर्स्थापना और सतत विकास की ओर बड़ा कदम

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दैनिक मूक पत्रिका छत्तीसगढ़ – सरकार ने राज्य के पर्यावरण और जैव विविधता को पुनर्स्थापित करने और सतत विकास को बढ़ावा देने के उद्देश्य से एक नई इको-रेस्टोरेशन नीति की घोषणा की है। यह नीति राज्य में पर्यावरणीय क्षति को रोकने और हरित आवरण को बढ़ाने के लिए एक निर्णायक पहल मानी जा रही है। मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय और वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री केदार कश्यप ने इस नीति का अनावरण करते हुए इसे राज्य के पर्यावरण के लिए मील का पत्थर बताया है।

नीति के प्रमुख बिंदु

  1. वृक्षारोपण और हरित आवरण:
    राज्य में बड़े पैमाने पर वृक्षारोपण अभियान चलाने की योजना है। अगले 5 वर्षों में लगभग 100 मिलियन पौधे रोपने का लक्ष्य निर्धारित किया गया है। ये वृक्षारोपण गतिविधियां मुख्य रूप से उन क्षेत्रों पर केंद्रित होंगी जो वनों की कटाई, खनन, और औद्योगिक गतिविधियों के कारण प्रभावित हुए हैं।
  2. वन संरक्षण और पुनर्वास:
    नीति के तहत वन क्षेत्रों का संरक्षण किया जाएगा, और वनों के आसपास रहने वाले समुदायों के लिए वैकल्पिक आजीविका स्रोत विकसित किए जाएंगे। राज्य के 30% वन क्षेत्र को संरक्षित करने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा, वनों में रहने वाले लगभग 1 लाख परिवारों के लिए पुनर्वास योजनाएं लागू की जाएंगी ताकि वे स्थायी और पर्यावरण-मित्र जीवन जी सकें।
  3. सतत विकास और रोजगार:
    नीति के तहत ग्रामीण क्षेत्रों में सतत विकास की दिशा में कदम बढ़ाए जाएंगे, जिससे स्थानीय समुदायों को रोजगार मिलेगा। अनुमान है कि इस योजना के तहत अगले तीन वर्षों में लगभग 2 लाख लोगों को प्रत्यक्ष और अप्रत्यक्ष रूप से रोजगार प्राप्त होगा।
  4. बायोडायवर्सिटी पार्क:
    सरकार 10 प्रमुख जिलों में बायोडायवर्सिटी पार्क बनाने की योजना पर काम कर रही है, जिनमें न सिर्फ पेड़-पौधे, बल्कि विभिन्न जीव-जंतुओं की रक्षा के लिए भी स्थान बनाया जाएगा। इस पार्क के निर्माण से छत्तीसगढ़ का जैव विविधता संरक्षण और पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा।
  5. जलवायु परिवर्तन पर प्रभाव:
    यह नीति जलवायु परिवर्तन के नकारात्मक प्रभावों को कम करने पर केंद्रित है। इसके तहत राज्य के वनों और जल संसाधनों का प्रबंधन किया जाएगा। अनुमान है कि 2030 तक छत्तीसगढ़ के वन क्षेत्र से 20 मिलियन टन कार्बन डाइऑक्साइड की कटौती की जाएगी, जिससे राज्य की जलवायु संकट की स्थिति को नियंत्रित किया जा सकेगा।
  6. सामाजिक जागरूकता और भागीदारी:
    सरकार स्थानीय लोगों, किसानों, और युवाओं को इस योजना में सक्रिय भागीदार बनाने के लिए विभिन्न प्रशिक्षण कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। यह सुनिश्चित किया जाएगा कि राज्य की जनसंख्या को पर्यावरण संरक्षण के महत्व को समझाया जाए और उन्हें इस दिशा में काम करने के लिए प्रेरित किया जाए। करीब 5 लाख लोग इन जागरूकता कार्यक्रमों में भाग लेंगे।

वित्तीय निवेश और योजनाएं

राज्य सरकार ने इस नीति के लिए 1,000 करोड़ रुपये का बजट आवंटित किया है, जिसमें केंद्र सरकार से भी वित्तीय सहयोग की उम्मीद है। इसके अलावा, नीति के तहत निजी क्षेत्र की कंपनियों से सीएसआर (कॉरपोरेट सोशल रिस्पॉन्सिबिलिटी) फंडिंग के माध्यम से अतिरिक्त धनराशि जुटाई जाएगी। सरकार का उद्देश्य है कि राज्य की औद्योगिक गतिविधियों के साथ-साथ पर्यावरण संरक्षण को भी एक महत्वपूर्ण प्राथमिकता दी जाए।

विशेषज्ञों की राय

पर्यावरण विशेषज्ञों का मानना है कि छत्तीसगढ़ की यह नई इको-रेस्टोरेशन नीति राज्य के वनों और पर्यावरण को सुरक्षित रखने के साथ-साथ सतत विकास के लिए एक निर्णायक कदम है। विशेषज्ञों का मानना है कि इस नीति से छत्तीसगढ़ की हरित आवरण वृद्धि और बायोडायवर्सिटी में सुधार होगा, जिससे राज्य को पर्यावरणीय आपदाओं से निपटने में मदद मिलेगी।

निष्कर्ष

छत्तीसगढ़ की नई इको-रेस्टोरेशन नीति राज्य के पर्यावरण और समाज के लिए एक सकारात्मक पहल है। यह न केवल वनों के संरक्षण और पुनर्वास को प्राथमिकता देती है, बल्कि पर्यावरणीय स्थिरता को सुनिश्चित करते हुए राज्य की अर्थव्यवस्था और रोजगार के नए अवसर पैदा करती है। अगले कुछ वर्षों में इस नीति के प्रभाव से राज्य के पर्यावरणीय परिदृश्य में महत्वपूर्ण सुधार होने की उम्मीद है, जिससे छत्तीसगढ़ एक हरित और पर्यावरण-अनुकूल राज्य के रूप में उभरेगा।

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