कृषि विज्ञान केन्द्र में प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण का आयोजन
अच्छा समर्थन मूल्य मिलने के कारण बेमेतरा में भी धान के क्षेत्रफल में काफी वृद्धि हुई: डॉ. भंडारकर
दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा – कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा एवं बायर के संयुक्त तत्वाधान में कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा में प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण कार्यक्रम का आयोजन बीते बुधवार को किया गया। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में डॉ. संदीप भंडारकर, अधिष्ठाता, रेवेन्द्र सिह वर्मा कृषि महाविद्यालय एवं अनुसंधान केन्द्र, ढोलिया बेमेतरा एवं विशिष्ट अतिथि के रूप में जितेन्द्र ठाकुर, सहायक संचालक कृषि, दिलिप सिंह सिदार, सहायक संचालक मछली पालन के साथ विवेकानंद गुप्ता बायर कंपनी छत्तीसगढ़ के बाजार विकास प्रबंधक उपस्थित थे। कार्यक्रम के प्रारंभ में कृषि विज्ञान केन्द्र, बेमेतरा के वरिष्ठ वैज्ञानिक एवं प्रमुख तोषण कुमार ठाकुर ने बताया कि वर्तमान में विभिन्न प्रकार के कृषि संबंधित गतिविधियों, उद्योग धंधो एवं अन्य भौतिक सुविधा के लिए आवश्यक संशासधनों से जो ग्रीन हाउस गैसों का अत्यधिक उत्सर्जन हो रहा है उससे ग्लोबल वार्मिंग की समस्या समय के साथ बढ़ती जा रही है। इसी प्रकार धान की रोपा पद्यति विधि से बुआई करने से उसमें जो जलभराव करना पड़ता है उससे भी मिथेन जैसी ग्रीन हाउस गैस का उत्सर्जन होता है जिसको कम करने के लिए धान की सीधी बुआई विधि (डी.एस.आर.) का प्रयोग एक बेहतर विकल्प है। इस विधि व धान में खरपतवार, कीट और रोग की समस्याओं का बेहतर प्रबंधन के उन्नत तकनीक का बायर कंपनी के सौजन्य से जिले में केवीके प्रक्षेत्र के साथ बेमेतरा, नवागढ़ एवं साजा विकासखंड के कृषक प्रक्षेत्र में प्रदर्शन कार्यक्रम लिया गया है। इसके लिए देश के विभिन्न चयनित राज्य एवं जिला में केवीके के साथ मिलकर कार्य करने के लिए भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद, नई दिल्ली एवं बायर कंपनी के बीच एम.ओ.यू. हुआ है।
कार्यक्रम के मुख्य अतिथि डॉ. संदीप भंडारकर कृषकों को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व में भारत धान का सबसे बड़ा उत्पादक देश है और छत्तीसगढ़ को धान का कटोरा भी कहा जाता है। छत्तीसगढ़ में धान की शासन स्तर पर खरीदी एवं अच्छा समर्थन मूल्य मिलने के कारण राज्य के साथ बेमेतरा में भी धान के क्षेत्रफल में काफी वृद्धि हुई है इसलिए पर्यावरण में फसल चक्र और उपलब्ध संशाधनों के महत्व को ध्यान में रखते हुए धान फसल से अधिक लाभ के लिए उपलब्ध कम लागत वाले उन्नत तकनीकों का विवेकपूर्ण उपयोग किसानों द्वारा किया जाना चाहिए। कार्यक्रम के तकनीकी सत्र में बायर कंपनी के बाजार विकास प्रबंधक विवेकानंद गुप्ता एवं क्षेत्रीय व्यवसाय प्रबंधक चैतन्य रेडी ने डी.एस.आर. विधि से धान की बुआई करने से जो खरपतवार की अत्यधिक समस्याए आती है उसका प्रदर्शन इकाईयों में कैसे बेहतर नियंत्रण किया गया एव उसमें लगने वाले कीट व रोग की जो समस्याए आती है उसे कैसे बायर के विभिन्न उत्पाद से प्रबंधन किया जा सकता है उसके बारे में पेजेन्टेशन के माध्यम से जानकारी दिया। सहायक संचालक कृषि जितेन्द्र ठाकुर ने कृषकों एवं कृषि अधिकारियों को जिले में धान एवं अन्य खरीफ फसलों की उन्नत कास्त तकनीक व प्रबंधन के उपायों को अपनाने व उसका प्रचार-प्रसार करने के लिए प्रेरीत किया।कार्यक्रम के अंत में उपस्थित। कृषकों, कृषि अधिकारियों, बायर एवं कृषि विज्ञान केन्द्र बेमेतरा के कृषि विशेषज्ञों के बीच खरीफ फसलों में कीट एवं रोग प्रबंधन पर परिचर्चा हुई साथ ही कृषकों के लिए फसल प्रबंधन के समान्य ज्ञान पर प्रश्नोत्तरी भी रखा गया था। तदोपरांत केवीके के प्रक्षेत्र में डी.एस.आर. विधि से धान (किस्म – एराईज धान डी.टी.) की बुआई की प्रदर्शन इकाई का कृषकों एवं कृषि अधिकारियों को भ्रमण कराया गया। प्रक्षेत्र दिवस सह कृषक प्रशिक्षण के इस कार्यक्रम में केवीके बेमेतरा के डॉ. जितेन्द्र जोशी, डॉ. तृप्ति ठाकुर, डॉ. लव कुमार, डॉ. अखिलेश कुमार, शिव कुमार सिन्हा, तथा कृषि विभाग के डॉ. श्याम लाल साहू, राकेश चतुर्वेदी, बायर कंपनी के आदर्श दुबे, खूबचंद बघेल से सम्मानीत प्रगतिशील कृषक खेदूराम बंजारे, प्रदर्शन इकाई के लाभाथी कृषक मोहीत साहू , तोकेश्वर साहू दिनेश वर्मा के साथ कुल 150 से अधिक अधिकारी / कर्मचारी एवं कृषक उपस्थित रहे