ग्रामीणों ने औद्योगिक प्रयोजनार्थ व्यपरिवर्तन को लेकर एसडीएम नवागढ़ को सौंपा ज्ञापन, रोक लगाने की मांग
औद्योगिक स्थापना से कृषि प्रधान जिले के किसानों का जीवन अंधकारमय
दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा/नवागढ़ – नवागढ़ तहसील अंतर्गत आने वाले ग्राम रमपुरा पटवारी हल्का नंबर 21 के अपने भूमि स्वामी हक के 35.92 एकड़ जमीन लगभग एवं नांदघाट तहसील के ग्राम मूढपार प.ह.न. 01 में 39.52 एकड़ निजी जमीन पर औद्योगिक प्रयोजनार्थ व्यपरिवर्तन के लिए मेसर्स व्ही ए पी इस्पात प्राइवेट लिमिटेड कंपनी के द्वारा नवागढ़ एसडीएम से अनुमति मांगी गई है जिसको लेकर ग्रामीणों ने औद्योगिक परियोजनार्थ व परिवर्तन के लिए अनुमति नहीं देने गुरुवार को एसडीएम कार्यालय नवागढ़ सह आवेदन पहुंचकर अनुमती पर रोक लगाने की मांग की। आवेदन में उन्होंने उल्लेख करते हुए बताया है कि
बेमेतरा जिला एक कृषि प्रधान जिला है। यहां की जनता अपने कृषि कार्य से खुशहाल है, उघोग की स्थापना से यहां की हवा पानी प्रदूषित हो जाएगी। कृषि भूमि बंजर होने से किसान भूमिहीन होकर उद्योगपति के गुलाम हो जाएगी। उधोग के स्थापना से होने वाले दुष्प्रभाव धरती मां एवं आने वाली पीढि का भी कोख सूनी हो जाएगी। यहां की जनता शासन प्रशासन से जानना चाहती है कि उधोग लगने से क्या पर्यावरण शुद्ध हो जाएगा. या कृषि की पैदावार बढ़ जाएगी या नदी, नाला, तालाव का पानी गंगा जल जैसे पवित्र हो जाएगा या प्लांट से निकलने वाली धुआं सुगंधित रहेगी व उत्पन्न होने वाली ध्वनि क्या भजन गीत सुनायेगी। क्या चिमनी से ऑक्सीजन गैस निकलेगी इन सब का जवाब आखिर ग्रामीण किन से ले यह बहुत बड़ी सवाल है ? वस्तुतः ग्रामीणों का मानना है कि औद्योगिक स्थापना से प्रदूषण होगा और प्रदूषण से चारागाह समाप्त हो जाएगा, गौ माता दूषित चारा एवं पानी से तड़प-तडप कर मरने को मजबूर होंगे, क्षेत्र के जीव जंतु, पशु पक्षी वे-मात मरेंगे। इसके लिए कौन जिम्मेदार है, शासन, प्रशासन या उद्योगपति। यह विचारणीय है ? किसानों को इससे क्या लाभ होगा, यह तथ्य विचारणीय ?
पहले से स्थापित उद्योग की मार झेलता गांव
आगे आवेदन में उल्लेख करते हुए लिखते हैं कि ग्राम के पास एक तरफ मुर्गी फार्म की बदबू निकल रही है तथा उसके पानी निकलने से धान की खेती नष्ट हो गई तथा मछली पालन केन्द्र के वदवू से परेशान है और भैसा ग्राम के ईथानाल गैस की बदबू से दम घुट रहा है तथा हमारे गांव में स्पंज आयरन फैक्टरी प्रस्तावित है। बेमेतरा जिला में वारुद फैक्टरी की दुर्घटना से कितने लोग खत्म हो गये, पर्थरा, कठिया, रांका तथा सरदा में स्पंज आयरन कृषि भूमि में फैक्टरी का काम तेजी से चल रहा है। ऐसा लगता है जिस प्रकार हिटलर अपने विरोधियों को गैस चेम्बर में मारकर तानाशाह बन गया था।
सुविधाओं से ग्रामीण वंचित, उद्योगों को पहुंचाया जाता है लाभ, जवाब देही कौन ?
एसडीएम में सौंपे आवेदन में लिखा है कि वैसे ही उद्योगपति पूरे जिले में उघोग स्थापना कर किसानों को भूमिहीन बनाकर मालिक बनना चाहते हैं। खेद के साथ लिखना पड़ रहा है कि शासन एवं प्रशासन इन उघोगपति के साथ और हम किसान वेबस और लाचार है। मुझे यह अभी तक समझ में नही आया शासन के सभी विभाग किस आधार पर उघोग स्थापना हेतु अनुमति दे देते हैं। किसानों को समय परं बिजली नहीं मिलता तब उद्योगपति के लिए कहां से पावर आ जाता है। ऐसा उघोग, जो हवा पानी को प्रदूषित ना करे उसका हम स्वागत करते हैं। हम सबको कभी नहीं भूलना चाहिए कि हमारे शरीर व दिमाग को चलने के लिए ईधन बनाने का काम किसान ही करते हैं। ऐसे अन्नदाता किसानों के हक छिनना अन्याय है। ज्ञात हो कि शुद्ध हवा एवं पानी हमें प्रकृति ने दिये हैं, इसे छिनने का अधिकार उघोगपति को नहीं है। स्वच्छ पर्यावरण में जीने का हमें मौलिक अधिकार है।