*दैनिक मूक पत्रिका जगदलपुर* । बीते बीते दिनों सोशल मीडिया पर नारायणपुर विधानसभा अंतर्गत सरकारी छात्रावास में शौचालय के अंदर रहकर पढ़ाई करने पर मजबूर विद्यार्थी की वास्तविक स्थिति दिखाई गई। सोशल मीडिया के माध्यम से सिर्फ छत्तीसगढ़ी नहीं बल्कि संपूर्ण विश्व के लोगों ने नारायणपुर विधानसभा में शासकीय छात्रावास की वास्तविक स्थिति को जान लिया है। यदि शासकीय छात्रावास पर आदिवासी छात्र-छात्राएं शौचालय पर रहकर पढ़ाई करने के लिए मजबूर हो रहे हैं तो सवाल यह उत्पन्न होता है कि उनके शिक्षा दीक्षा के लिए जो करोड़ों अरबो रुपए अब तक खर्च किए गए वह कहां इस्तेमाल हुए हैं।
जीन जिम्मेदार अधिकारियों को आदिवासी छात्र-छात्राओं को शिक्षा दीक्षा देने के लिए यह व्यवस्था सोप गई है आखिर उन्होंने अपनी जिम्मेदारी किस हद तक निभाई है। सोशल मीडिया में वायरल उसे वीडियो ने यह सब चीज दूध का दूध और पानी का पानी कर रखा है। करोड़ अरब रुपए रोकने के बाद भी यदि बस्तर में आदिवासियों को शिक्षा दीक्षा शौचालय में रहकर ही पूर्ण करने की जरूरत है तब जरा अंदाजा लगाइए कि सत्ता पर बैठे हुए लोग कैसा इन पैसों का बंदर बात कर रहे होंगे। उदय वाला साहब ठाकरे की जिला अध्यक्ष अरुण कुमार पांडे ने इस घटना मंत्री केदार कश्यप द्वारा दिए गए बयान की निंदा करते हुए कहा है कि मंत्री को सबसे पहले व्यवस्था सुधारने एवं जिम्मेदार अधिकारियों पर कार्यवाही करनी चाहिए थी जबकि वे वीडियो प्रसारित करने वाले लोगों पर कार्रवाई करने की बात कर रहे हैं। उन्होंने आगे कहा कि दरअसल मंत्री और उनके पार्टी तथा प्रशासनिक अधिकारियों की असलियत उसे वायरल वीडियो के माध्यम से आम हो गई है जिससे मंत्री चिड़चिड़ा गए हैं और सच्चाई सामने लाने वाले पर ही कार्यवाही की बात वह कर रहे हैं। शिवसेना द्वारा तत्काल जिला के कलेक्टर जिला के शिक्षा अधिकारी एवं हॉस्टल के अधीक्षक को बर्खास्त करने की मांग की गई है। साथी मंत्री केदार कश्यप को भी यह कहा गया है कि ऐसे पत्रकारों और ऐसे हिमवती लोगों को सदा सुरक्षा देने की वही कोशिश करें ना कि उन्हें धमकाया जाए जो सच्चाई को सामने लाते हैं। आज वर्तमान समय में सच्चे और निर्भय पत्रकार ऐसे भी बहुत ही कम गिनती के बचे हुए हैं। यदि जिम्मेदार ईमानदार और निर्भय लोगों को डराया धमकाया जायेगा तो बची खुँची पत्रकारिता भी सदैव के लिए समाप्त हो जाएगी।