एथेनाल प्लांट भगाने अभियान में व्यापारियों ने दिया समर्थन , आज बंद रहेगी रांका कठिया की समस्त दुकानें*
*दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा* – रांका और पथर्रा में गांव के बीच कृषि भूमि में एथेनाल और पावर प्लांट लगाने के विरोध में रांका में आसपास के तीस गांवों के लोगों के द्वारा 08 सितंबर रविवार को विशाल महापंचायत का आयोजन रखा गया है जिसके समर्थन में रांका और कठिया के समस्त व्यापारियों ने रविवार को अपनी दुकानें बंद रख कर इस महापंचायत को समर्थन करने का निर्णय लिया है।पर्यावरण बचाओ प्रदूषण हटाओ मंच के प्रमिल तिवारी अजिताभ मिश्रा और जनपद सदस्य सिद्दीक़ ख़ान और ग्राम राका निवासी नरेश साहू घनाराम जितेंद्र ने बताया कि बंजर ज़मीन में लगने वाले प्लांट को गांव के अंदर कृषि भूमि में लगाने के विरोध में रांका और पथर्रा सहित आसपास के तीस गांवों के लोगों द्वारा08 सितंबर रविवार को महापंचायत का आयोजन रखा गया है।जहां शासन प्रशासन द्वारा उद्योग के हित को सर्वोपरी मानते हुवे ग्रामीण किसान जनता की आवाज को दबाने हर तरह की युक्ति अपनाए जाने से किसानों में भारी आक्रोश पनप रहा है।विगत दो तीन माह से इसके लिए गांव गांव में लगातार बैठके की जा रही है।रांका में जब से सुयश बायो फ्यूल के लिए भूमि के डायवर्शन की प्रक्रिया प्रारंभ हुई है तब से लेकर आज तीन वर्षों से यहां के किसान विरोध कर रहे हैं।किसानों का कहना ये प्लांट निर्जन क्षेत्र में बंजर जमीन में लगने वाला प्लांट है।इस क्षेत्र में भैंसा में संचालित प्लांट की भयंकर बदबू और प्रदूषण ने आग में घी डालने का काम कर रही है।इस क्षेत्र के लोग लगातार भैंसा गांव में संचालित प्लांट से होने वाली बदबू और प्रदूषण का अवलोकन कर रहे है।भैंसा और उसके आसपास के गांव के ग्रामीणों से रूबरू होने के बाद उनकी परेशानी सुनने और स्थल का मुआयना करने के बाद इस क्षेत्र की जनता में शासन प्रशासन के प्रति भयंकर आक्रोश पनप रहा है।और उसी की परिणीति स्वरूप महापंचायत का आयोजन रखा जा रहा है। पहले जहां केवल रांका और पथर्रा के ग्रामीण विरोध कर रहे थे वही अब परिस्थिति वश इसका दायरा आस पास के तीस पैंतीस गांवों तक फैल चुका है।सुयश बायो फ्यूल के प्रोजेक्ट रिपोर्ट के अनुसार शिवनाथ नदी से आठ लाख लीटर पानी प्रतिदिन इस प्लांट के लिए लिया जाना प्रस्तावित है वही पथर्रा प्लांट
के लिए प्रतिदिन 4 लाख लीटर पानी का दोहन किया जाना है।उसके साथ ही सरदा में निर्माणाधीन में रायजन स्पंज आयरन द्वारा लाखो लीटर पानी का दोहन शिवनाथ से ही किया जाएगा और इसके वेस्ट को इसी नदी में प्रवाहित किया जायेगा। एथेनाल प्लांट जैसे गंदी बदबूदार प्लांट को चार से पांच किलोमीटर के दायरे में तीन चार प्लांट को कैसे अनुमति दी जा रही है इससे ग्रामीण किसान स्तब्ध है।उल्लेखनीय है की ग्राम कठिया में भी एथेनाल प्लांट प्रस्तावित है।सरपंच सचिव द्वारा गांव वालों को बिना विश्वास में लिए गुपचुप एनओसी जारी करने से भी ग्रामीण जनता में बहुत अधिक गुस्सा है।गुस्सा का आलम ये है की सरपंच सचिव जनता से कन्नी काटते फिर रहे है।गांव में विशेष ग्राम सभा कर इनकी एनओसी निरस्त करने के प्रस्ताव को अनदेखा किया जा रहा है।जबकि पंचायती राज में ग्राम सभा सर्वोपरी ,जिसके द्वारा पारित प्रस्ताव को सुप्रीम कोर्ट भी खारिज नही कर सकता , उसकी उपेक्षा स्थानीय प्रशासन रद्दी की टोकरी में डाल कर कर रहा है। इन सब में रोचक तथ्य ये है की रांका में प्लांट द्वारा अवैध रूप से बच्चो का खेल मैदान और धरसा को सुयश बायो फ्यूल द्वारा पक्की बाउंड्री से घेर दिया गया और जब ग्रामीणों ने इसकी शिकायत तहसीलदार से की तब पहले तो तहसीलदार द्वारा इसे नजर अंदाज किया जाता रहा है जब ग्रामीणों का दबाव बढ़ा तो आनन फानन में जिला कलेक्टर द्वारा उद्योग विभाग की आड़ में पिछले दरवाजे से जमीन सुयश बायो फ्यूल को दे दी गई।उल्लेखनीय है की इस जमीन पर गांव के युवा छात्र सेना और पुलिस में नौकरी में भर्ती के लिए अभ्यास करते है और बहुत से लोग इसमें सफल हो कर नौकरी प्राप्त कर चुके है।इस क्षेत्र की जनता को समझ नही आ रहा है की उनके आपने द्वारा चुने हुवे जनप्रतिनिधि से लेकर प्रशासन के उच्च पद और बैठे व्यक्ति इन उद्योग पतियों के प्रति इतनी उदार मेहरबान और वफादारी क्यों निभा रहे है।रोजगार की बात करने वालों ने इस बात का संज्ञान लेना भी जरूरी नहीं समझ रहे है की स्थानीय के बजाय पूरे बिहार और बंगाल के लोगो को यहां लाकर काम कराया जा रहा है,पुलिस विभाग इनका वेरिफिकेशन भी जरूरी नहीं समझ रही है।जिससे असामाजिक तत्वों का जमवाड़ा बढ़ता जा राह है।विगत सप्ताह सुयश बायोफ्यूल के इन्ही असामाजिक कर्मचारी द्वारा हाई स्कूल कठिया रांका की स्कूली छात्राओं से छेड़ छाड़ किया जा रहा था जिस पर स्थानीय युवाओं ने इन बदमाशो की जम कर पिटाई भी कर दी।मामले को दबाने फैक्ट्री प्रबंधन ने आनन फानन में इन बदमाशो को भगा कर मामले को दबाने का कार्य किया है।जिससे ग्रामीणों में गुस्सा दिन प्रतिदिन बढ़ता जा रहा है।उन्हें समझ नही आ रहा सारे नियम कानून को ताक पर रखकर शासन प्रशासन फैक्ट्री मालिक पर इतना मेहरबान क्यों है।इन सबकी ही परिणीति है की ग्रामीण किसान जनता महापंचायत करने बाध्य है।प्राप्त जानकारी के अनुसार इस महापंचायत में स्थानीय किसान बड़ी संख्या में किसान आंदोलन की तर्ज पर ट्रैक्टर ले कर शासन प्रशासन का घेराव और दीर्घ कालीन आंदोलन की
रणनीति पर मंथन कर रहे है।ये महापंचायत को किसान इन प्लांट में ताला बंदी तक चलाने के मूड में नजर आ रहे है।आम किसानो के आक्रोश को शासन प्रशासन भांप पाने में असफल नजर आ रहा है।