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*लैंगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर कार्यशाला आयोजित*

 

*दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा -* कलेक्टर रणबीर शर्मा के निर्देशन में चंद्रबेस सिंह सिसोदिया जिला कार्यक्रम अधिकारी एवं सीपी शर्मा महिला एवं बाल विकास अधिकारी, महिला एवं बाल विकास विभाग के मार्गदर्शन में तथा व्योग श्रीवस्ताव जिला बाल संरक्षण अधिकारी के नेतृत्व में अंर्तविभागीय टीम द्वारा बेरला परियोजना ग्राम पहन्दा के शासकीय हाई एवं मीडिल स्कूल के कक्षा 6वी से 10वीं तक के उपस्थित विद्यार्थियों को बाल संरक्षण एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओं जागरूकता अभियान अंतर्गत विस्तार से जानकारी देते हुए राजेंद्र प्रसाद चंद्रवंशी, परियोजना समन्वयक (सीएचएल) जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग, द्वारा बच्चों पर होने वाली लैगिक अपराधों से बालकों का संरक्षण अधिनियम 2012 पर छात्र एवं छात्राओं को विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि, भारत सरकार द्वारा बच्चों पर लैंगिक हमले, लैंगिक उत्पीडन और अश्लील साहित्य के अपराधों से बच्चों का संरक्षण करने तथा ऐसे अपराधों का विचारण करने के लिए विशेष न्यायालयों की स्थापना करने तथा उनसे संबंधित या जुड़े हुए विषयों के लिए उपबंध करने के लिए यह अधिनियम लागू किया गया है। बच्चों के विरूद्ध लैंगिक अपराध को स्पष्ट रूप से परिभाषित किया गया है तथा उसे गंभीर स्तर तक परिभाषित कर दण्ड के प्रावधान किये गये हैं। इस अधिनियम की धारा 13,14,15 के अंतर्गत अश्लील साहित्य के प्रयोजनों के लिए बच्चों का बच्चों का अपयोग करना अपराध घोषित करते हुए उसके लिए दण्ड के प्रावधान किये गये हैं। इस अधिनियम के अंतर्गत बच्चों के प्रति उपरोक्त अपराधों को करने के लिए किसी को दुष्प्ररेणा देना याने उकसाना या प्रेरित करना भी दण्डनीय अपराध घोषित किया गया है। इस अधिनियम के धारा 21 अंतर्गत यदि किसी व्यक्ति को ऐसे अपराध की जानकारी है एवं वह सूचना नहीं देता है तो उसे भी सूचना देने में विफल रहने के लिए दण्ड का प्रावधान किया गया है। इस अधिनियम की धारा 23 के अंतर्गत सोशल मीडिया/मीडिया के लिए प्रक्रिया निर्धारित करते हुए यह प्रावधान किया गया है कि यदि कोई भी व्यक्ति किसी भी प्रकार के सोशल मीडिया/मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्रण संबंधी प्रमाणों के बिना, किसी बच्चे के संबंध में कोई रिपोर्ट या ऐसी टीका-टिप्पणी नहीं कर सकेगा, जिससे बच्चे की प्रतिष्ठा हनन या उसकी गोपनीयता का उल्लंघन हो। तथा किसी भी सोशल मीडिया/मीडिया से ऐसा कोई भी ब्यौरा प्रकाशित नहीं किया जा सकता जिससे पीड़ित बच्चे की पहचान जैसे नाम, पता, फोटो, परिवार का विवरण, विद्यालय, पड़ोस या अन्य कोई विशेष सूचना प्रकट हो जाये। इसका तात्पर्य यह है कि पीडित बच्चे की पहचान प्रकट नहीं होनी चाहिए। सोशल मीडिया/मीडिया या स्टूडियो या फोटो चित्र संबंधी सुविधाओं को प्रकाशक या स्वामी संयुक्त रूप से और पृथक रूप से अपने कर्मचारी के किसी ऐसे कार्य, जिससे उक्त धाराओं का उल्लंघन हो उत्तरदायी माना जायेगा, घारा 23 के उपधारा 1 एवं के उल्लंघन की दशा में कम से कम 6 माह से 1 वर्ष तक के कारावास या जुर्माना या दोनों से न्यायालय द्वारा दोषी पाने जाने पर दण्डित किया जा सकता है। इस अधिनियम की धारा 28 के अंतर्गत लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम से संबंधित मामलों के विचारण व त्वरित निपटारे के लिए विशेष न्यायालय पदामिहित अर्थात नामित किये गये हैं, जिन्हें हम सामान्य भाषा में फास्ट ट्रैक कोर्ट के नाम से जानते हैं। ऐसे गागलों की सुनवाई का विचारण बंद कमरे में किये जाने की भी व्यवस्था की गई है। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 के क्रियान्वयन के अनुश्रवण का दामित्व राज्य बाल अधिकार संरक्षण आयोग को प्रदान किया गया है। बच्चे का लैंगिक शोषण बहुत गंभीर अपराध है, इसकी रोकथाम में मददगार बनें। अब इस कानून में मृत्युदंड तक का प्रावधान है। लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 लागू है। इस कानून के तहत अपराध माना गया है। बच्चों का लैंगिक शोषण करना या करवाना।, लैंगिक शोषण का प्रयास करना या करवाना, अश्लील साहित्य हेतु बच्चे का उपयोग करना या करवाना अपराध गाना गया है। यह अपराध और ज्यादा गंभीर माना गया है, जब यह अपराध बच्चे के संरक्षक द्वारा किया जाता है तो उसे आजीवन कारावास या कम से कम 10 वर्ष तक कैद हो सकती है। यह कानून अर्थात लैंगिक अपराधों से बच्चों का संरक्षण अधिनियम 2012 बालक तथा बालिकाओं दोनों पर समान रूप से लागू होता है अर्थात बालक या बालिका जो 18 वर्ष से कम उम्र के हैं उनका लैंगिक शोषण होने पर इस कानून की धारायें लागू होंगी। विस्तार से जानकारी दिया गया। बच्चों को बताया गया की वे अपने शरीर की सुरक्षा का ध्यान रखें यदि आपको ऐसा लगे की मुझे कोई गलत तरीके से छु रहा है, तो उसका विरोध करें और अपने माता-पिता एवं शिक्षिकाओं या चाइल्ड हेल्पलाईन 1098 से जानकारी देवें। यदि आप ऐसा नहीं करते तो, हो सकता है की वह व्यक्ति का हौंसला और बढ़े, और आप यौन शोषण का शिकार हो जाये। इसलिए यौन शोषण के बारे में कभी भी शर्मिंदा न होवें तथा अपनों से खुलकर अपनी बात रखें। अपने अधिकारों के बारे में बात करें। तथा बच्चें माता-पिता या गुरूजनों / शिक्षिकाओं के साथ हमेशा संपर्क में रहें। तत् पश्चात श्रीमती आरती बंजारे, श्रीमती संगीता कोसले पर्यवेक्षक सरदा 01 परियोजना बेरला, देवेन्द्र चन्द्रवंशी उप-निरीक्षक श्रम विभाग बेमेतरा, आनंद घृतलहरे सामाजिक कार्यकर्ता मि.वा, करिशमा परवीन सीएचएल पर्यवेक्षक, मि.वा. सुश्री सोनिया राजपुत, पवन साहू एवं कु. स्वाती कुजाम पैरालिगल वालेंटियर्स, जिला विधिक सेवा प्राधिकरण बेमेतरा के संयुक्त टीम द्वारा अपनी सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी साझा किया गया। उक्त कार्यक्रम में हाई स्कूल से श्रीमती पूनम ठाकुर, सुश्री प्रभा बंजारे व्याख्याता, मीडिल स्कूल से डी.एल. साहू प्रधान अध्यापक, विकास कुमार साहू, संजय माथरे, मंथिर ध्रुव, शिक्षक एवं समस्त विद्यार्थीयों की उपस्थिति रही।

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