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प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेमेतरा में नवरात्रि के शुभ अवसर पर चैतन्य देवियों की झांकी प्रदर्शनी का हुआ आयोजन 

कलेक्टर, एसपी व क्षेत्रीय विधायक दीपेश साहू हुए शामिल 

 

दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा –  विधायक दीपेश साहू तथा बेमेतरा कलेक्टर रणबीर शर्मा ने चैतन्य देवियों की झांकी में दीप प्रज्वलित किया और 400 मूर्तियों से सुसज्जित प्रदर्शनी का अवलोकन करते हुए आध्यात्मिक ज्ञान प्राप्त किया। आध्यात्मिक रहस्य बताते हुए बेमेतरा सेवा केंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी शशि बहन जी ने कहा कि भारत अध्यात्म प्रधान देश है। जिसकी श्रेष्ठ सभ्यता संस्कृति हमारे त्योहारों में झलकती है। नवरात्रि में लोग देवियों का पूजन करते हैं। इसके साथ ही कलश स्थापना, अखंड ज्योति जलाना, व्रत, उपवास तथा कन्या पूजन करने की परंपरा है। इन सबके पीछे भी आध्यात्मिक रहस्य है। कलश स्थापना अर्थात परमात्मा बुद्धि में ज्ञान का कलश रखते हैं। जिससे ज्ञान का प्रकाश जीवन में आ जाता है। अखंड ज्योति यानी ज्ञान का घृत जब आत्मा की ज्योति में पड़ती है तो अखंड आत्म-ज्योति जागृत हो जाती है। व्रत का अर्थ है जीवन में दृढ़ संकल्प, उपवास से मनोबल में वृद्धि तथा नियम से जीवन में अनुशासन आता है। कन्या पूजन का अर्थ है कन्याओं का सम्मान करना। इससे परमात्मा भी प्रसन्न होते हैं। कहा जाता है कि जिस घर में कन्याओं व नारियों का सम्मान होता है वहां देवता निवास करते हैं। उस परिवार में दिव्यता आ जाती है। घर धन्य धान्य से संपन्न हो जाता है। शशि बहन ने कहा कि नवरात्रि में मां दुर्गा, लक्ष्मी तथा सरस्वती की विशेष रूप से पूजा की जाती है। दुर्गा दुर्गुणों का नाश करने वाली देवी है जब दुर्गुण दूर होते हैं तब जीवन, चरित्र श्रेष्ठ बनता है। श्रेष्ठ सभ्यता संस्कृति आने लगती है। ऐसे दिव्य जीवन में लक्ष्मी का आगमन होता है। सदगुणों का धन, संस्कार का धन जब जीवन में आ जाता है, तो मां सरस्वती का आगमन होता है। यानी ज्ञान का संचार होता है तो व्यक्ति जीवन की उच्चता का प्राप्त कर लेता है। शक्ति, धन तथा ज्ञान इन तीनों का कोई आराध्य देवता नहीं है बल्कि देवियां हैं। इसलिए इन तीन देवियों की सबसे अधिक पूजा होती है।
निर्भयता का प्रतीक है शेर की सवारी
शशि बहन जी ने कहा कि देवियों को बहुत सजी-धजी सुसज्जित दिखाया जाता है। इनक पीछे प्रकाश का आभामंडल होता है जो उनकी पवित्रता को दर्शाता है। अनेक आभूषणों से श्रृंगार दिव्य गुणों से सुसज्जित तथा शेर पर सवारी निर्भयता का प्रतीक है। मां दुर्गा को अष्टभुजाधारी दिखाया जाता है जिसका अर्थ है उनके पास अष्टशक्तियां हैं। एक हाथ में गदा है जो दृढ़ता के साथ बल का होना, तलवार तीखी धार वाली होती है उससे एक ही झटके में महिषासुर का वध दिखाते हैं यानी अपने भीतर के अवगुणों को एक ही झटके में दृढ़ता से खत्म करना।
तीर कमान का अर्थ है जीवन में एक लक्ष्य पर टिक कर कार्य करना। कमल फूल देवी की पवित्रता को दर्शाता है। एक हाथ में दीप आत्मजागृति का प्रतीक है। शंख जागृति का प्रतीक है। चक्र इस बात का प्रतीक है कि दूसरों का चिंतन दर्शन करने के स्थान पर स्वयं के चिंतन पर ध्यान देकर अपने जीवन को श्रेष्ठतम बनाया जाए। एक हाथ आशीर्वाद की मुद्रा में यह दर्शाता है कि सामने वाला हमारे बारे में कैसे भी विचार रखे हमें उसके प्रति शुभ भावना रखनी है, जिससे हमारा ही कल्याण होगा। तो आइए श्रेष्ठ संकल्पों को धारण करते हुए अपने जीवन को ज्ञान से चरित्र की ओर ले जाएं। विशेष : इस अवसर पर दिनांक 13 अक्टूबर से 7 दिवसीय निःशुल्क अलविदा तनाव जिसका समय प्रातः 7:30 से 8:30 अथवा प्रातः 8:30 से 9:30 बजे तक एवं शाम 6 से 7 अथवा रात्रि 8 से 9 बजे तक ब्रह्माकुमारीज सेवा केंद्र बेमेतरा में राजयोग शिविर का आयोजन किया जायेगा।

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