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ब्रह्माकुमारी बेमेतरा सेवा केंद्र के 21 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में शिक्षकों का सम्मान*

 

 

 

*दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा* – प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय प्रभु स्मृति भवन के 21 वें स्थापना दिवस के उपलक्ष्य में डॉक्टर सर्वपल्ली राधाकृष्णन के जन्म दिवस को शिक्षक दिवस के रूप में मनाते हुए बेमेतरा क्षेत्र के शिक्षकों का सम्मान किया। कार्यक्रम की शुरुवात मुख्य अतिथि बेमेतरा पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा, अध्यक्षता जिला शिक्षा अधिकारी कमल कपूर बंजारे, विशिष्ट अतिथि बेमेतरा नगर पालिका अध्यक्ष शकुंतला साहू, मितान मल्टीस्पेशलिटी हेल्थकेयर बेमेतरा डायरेक्टर श्रीमति नीति पटेल, प्रसिद्ध समाजसेवी ताराचंद माहेश्वरी ने दीप प्रज्जवलन करके किया। तत्पश्चात सभी को चंदन का तिलक कर, बैच लगाकर स्मृति चिन्ह भेंट किया गया। बच्चों ने रंगारंग कार्यक्रम प्रस्तुत किये जिसमे संगीत और नृत्य शामिल थे। इस अवसर पर शहर के जानेमाने शिक्षाविदों द्वारा शिक्षा से संबंधित अपने अनुभवों और प्रेरणाओं को साझा किया गया। बी.के.शशि दीदी ने राजयोग ध्यान के अभ्यास द्वारा तनाव मुक्ति, एकाग्रता बढ़ाने व दैनिक जीवन में राजयोग के अभ्यास का महत्व बताया और शिक्षकों की प्रमाणिकता पर जोर दिया। ब्रम्हाकुमारीज़ के द्वारा आयोजित इस समारोह में उपस्थित शिक्षकों को संबोधित करते हुए प्रजापिता ब्रह्माकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय बेमेतरा सेवाकेंद्र प्रभारी ब्रह्माकुमारी शशि दीदी ने कहा कि भविष्य के कर्णधार बच्चों के देश के निर्माण में शिक्षकों की भूमिका अति सराहनीय है। विद्यालय को पहले मंदिर कहा जाता था ऐसा मंदिर जहां चैतन्य मूर्तियां तैयार होते है। यह मूर्तियां जब पूरे विश्व में पहुंचते है तो यह जान पाते हैं कि उन्होंने यह अच्छी शिक्षा कैसे प्राप्त की। शिक्षकों का हम सबके जीवन में बहुत महत्वपूर्ण योगदान है । दीदी ने अपने अनुभवों को साझा करते हुए कहा कि कई बार शिक्षक नैतिक शिक्षा को मुख्य विषय नहीं समझते,लेकिन मुझे लगता है कि नैतिक शिक्षा मुख्य विषय है जिससे अच्छे इंसान का निर्माण कर पाते हैं। इंजीनियर की जो गलती होती है वह सीमेंट की तो परतों में छिप जाती है चिकित्सक की गलती श्मशान घाट पर छिप जाती है। एक वकील की गलती कागजों में छिप जाती है परंतु एक शिक्षक की गलती पूरे समाज व पूरे विश्व में अनेक रूप में प्रतिबिंबित होती रहती है। एक शिक्षक द्वारा की गई एक गलती भी प्रतिबिंबित होती है तो एक अच्छाई भी प्रतिबिंबित होती है। हर एक शिक्षक चंदन तो नहीं लेकिन नीम के पेड़ जैसे जरूर होते हैं। वह सुगंधित तो नहीं लेकिन काम बहुत आते हैं तो शिक्षक का योगदान वास्तव में पूरे विश्व के लिए ऐसा ही है जो नीम के पेड़ की तरह बच्चों के काम आते हैं जो आगे चलकर देश का नव निर्माण कर सकें। शिक्षकों को शिल्पकार के रूप में वर्णित करते हुए, शिक्षकों की पवित्रता को आज की युग की आवश्यकता बताया। जैसे शिक्षक होंगे वैसी ही हमारी आने वाली पीढ़ी बनेगी, शिक्षक ही बच्चों के अंदर संस्कारों के बीज बोते हैं जो उनके आने वाले जीवन का मार्गदर्शन एवं आदर्श बन जाते हैं। बेमेतरा पूर्व विधायक आशीष छाबड़ा ने ब्रम्हाकुमारीज़ की सराहना करते हुए कहा कि यहां आकर संतुष्टि,खुशी और शांति मिलती है। आज हम सबके जीवन में पैसा है लेकिन जो अंदर से हमें चाहिए वह इस संस्थान में प्राप्त होता है। ने विद्यार्थी जीवन की मजबूत नींव बनाने व भारत को विश्व गुरू बनाने में शिक्षकों के विशेष महत्व की सराहना की। जिला शिक्षा अधिकारी कमल कपूर बंजारे ने कहा कि शिक्षक दिवस मनाना अर्थात शिक्षक अपने कर्तव्य पथ की गरिमा को सदा बनाए रखें l बेमेतरा नगर पालिका अध्यक्ष शकुंतला साहू ने कहा कि ब्रह्माकुमारीज संस्थान वर्तमान समय में हम सब के लिए एक प्रेरणा स्रोत का काम कर रहा है। आज स्वास्थ्य की परिभाषा में नया मानक जोड़ने की आवश्यकता हो गई है। पहले स्वास्थ्य का मतलब तन, मन और सामाजिक रूप से स्वस्थ रहना होता था लेकिन आज उसमें एक आध्यात्मिक पहलू भी जुड़ गया है। आज लोग अनावश्यक चिड़चिड़ेपन, गुस्से, ईर्ष्या आदि नकारात्मक भावों के शिकार होते जा रहे हैं, जिससे बीमार और बीमारियों की संख्या में संख्या में अत्यधिक इजाफा हो रहा है, हम यही नहीं समझ पाते हैं कि सामने वाला हमसे क्रोधित क्यों है और हमारे संबंधों में इतनी कड़वाहट कहां से आ गई है, मन की यही नकारात्मकता एवं भावनात्मक अवरोध, शारीरिक बीमारियों में बदल जाते हैं। प्रसिद्ध समाजसेवी ताराचंद माहेश्वरी जी ने कहा कि यह संस्थान हर वर्ष ग्रीष्मकालीन सत्र में समर कैम्प का आयोजन बच्चों के व्यक्तित्व विकास के लिए 10 दिनों के लिए करता है। इसका लाभ बच्चों को होता है। आज बच्चों की बढ़ती जिज्ञासा और भटकाव का समाधान इस आध्यात्मिक स्थल पर ही प्राप्त होता है। मितान मल्टीस्पेशलिटी हेल्थकेयर बेमेतरा डायरेक्टर श्रीमति नीति पटेल जी ने डिजिटल युग के खतरों से आगाह करते हुए बताया कि सोशल मीडिया, डिजिटल गैजेट्स आदि के अत्यधिक उपयोग ने बच्चों के जीवन से मानवीय भावनाएं जैसे खुशी, स्नेह, संवाद, करुणा आदि से दूरी बना दी है और वे मानसिक रूप से कमजोर, अकेलेपन, हिंसात्मक उग्रता व टेंशन आदि का शिकार बन रहे हैं। उपस्थित शिक्षकों का तिलक व बैच पहनाकर स्वागत किया गया व सौगात व श्रीफल भेंट कर सम्मानित किया गया। बच्चों द्वारा जीवन की आशाओं से भरपूर मनमोहक गीत नाट्य द्वारा प्रेरणादायी प्रस्तुति ने सभी कोआकर्षित किया। सेंटर के 21 वें स्थापना दिवस की याद में शशि दीदी ने केक काटकर उत्सव मनाते हुए ईश्वरीय प्रसाद ब्रह्मा भोजन और केक वितरित किया और कार्यक्रम सफलता पूर्वक संपन्न हुआ।

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