एक युद्ध नशे के विरूद्ध, बाल विवाह एवं बेटी बचाओं बेटी पढाओं जागरूक कार्यक्रम
*दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा* – विगत दिवस शासकीय उत्कृष्ट आत्मानंद बालक हाई /हायर सेकेण्डरी स्कूल एवं शासकीय कन्या हाई / हायर सेकेंडरी स्कूल दाढ़ी, परियोजना खंडसरा में बाल संरक्षण एवं बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ के अंतर्गत स्कूली छात्र/ छात्राओं को अंतरविभागीय टीम द्वारा अलग-अलग टीम बनाकर, बाल संरक्षक विषय में-एक युद्ध नशे के विरूद्ध, सडक जैसी परिस्थिति वाले बच्चों का चिन्हांकन, बाल विवाह एवं बेटी बचाओं बेटी पढाओं विषय पर जागरूक किया गया। जिसमे राजेंद्र चंद्रवंशी परियोजना समन्वयक, चाइल्ड हेल्पलाइन , जिला बाल संरक्षण इकाई, महिला एवं बाल विकास विभाग के द्वारा बाल संरक्षण के विषय में विस्तार से जानकारी देते हुए बताया गया कि छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री द्वारा 10 मार्च 2024 को “बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ़ अभियान” का शुभारंभ किया गया था। उक्त बाल विवाह मुक्त छत्तीसगढ अभियान के प्रभावी रोकथाम हेतु जिले में लगातार जन-जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। बाल विवाह प्रतिषेध अधिनियम 2006 2बी के अनुसार ऐसा विवाह जिसमें वर (जिसकी आयु 21 वर्ष से कम) तथा वधु (जिसकी आयु 18 वर्ष से कम) अवयस्क या बच्चे हो, तब उसे बाल विवाह माना जायेगा। बाल-विवाह एक सामाजिक कुप्रथा है जिसके सामाजिक, आर्थिक, सांस्कृतिक या प्रेम प्रसंग कारण हो सकते हैं, जिन्हें विमर्श में लेकर उन कारणों को पूर्णतः समाप्त कर एक सकारात्मक वातावरण तैयार किया जाना आवश्यक है। बाल विवाह बच्चों के अधिकारों और उनके विकास को प्रभावित करता है। यह विकास को बाधित करने वाली गंभीर समस्या है जिसके पूर्ण रोकथाम हेतु सामाजिक, कानूनी और आर्थिक स्तर पर लोगों को जागरूक करना एवं इस कुप्रथा से होने वाले दुष्परिणामों को जन-जन को समझाना महत्वपूर्ण है, ताकि इसे प्रभावी तरीके से रोका जा सके और बच्चों का सर्वांगीण विकास कर उन्हें पूर्णतः सुरक्षित रखा जा सके। 18 वर्ष से अधिक आयु का पुरूष, यदि 18 वर्ष से कम आयु की किसी महिला से विवाह करता है तो उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपय तक हो तकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह करवाता है, करता है अथवा असमें सहायता करता है उसे 2 वर्ष तक का कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। कोई व्यक्ति जो बाल विवाह को बढ़ावा देता है अथवा उसकी अनुमति देता है, बाल विवाह में सम्मलित होता है उसे 2 वर्ष तक के कठोर कारावास अथवा जुर्माना जो कि 1 लाख रूपए तक हो सकता है अथवा दोनों से दण्डित किया जा सकता है। किसी भी महिला को कारावास का दण्ड नही दिया जा सकता है। बाल विवाह के रोकथाम हेतु समस्त छात्र/छात्राओं को जागरूक किया गया।
सुश्री राखी यादव केंद्र प्रसाशक सखी वन स्टाफ सेंटर के द्वारा सखी वन स्टाप सेंटर में दिये जाने वाले विभिन्न सेवाओं को विस्तार से बताया गया एवं जिला विधिक सेवा प्राधिकरण से पैरालीगल वालंटियर संजीव दुबे
ने DALSA के सेवाओं के बारे में विस्तार से जानकारी दिये। उक्त कार्यक्रम में आनंद घृतलहरे, सामाजिक कार्यकर्ता एवं इन्द्राणी मरकाम CHL केस वर्कर विशेष सहयोगी रहे।उक्त कार्यक्रम को सफल बनाने में बालक/बालिका हाई/हायर सेकेण्डरी स्कूलों के प्राचार्य तथा समस्त उपस्थित व्याख्याता और शिक्षकगणों का विषेश योगदान रहा।