किसान महापंचायत का हुआ आयोजन , त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव का बहिष्कार करने निर्णय
दैनिक मूक पत्रिका बेमेतरा – ग्राम रांका के किसानो ने बीते सोमवार को किसान महापंचायत बुलाई थी l जिसमे लगभग 250 से अधिक ग्रामीण किसान और महिलाएं शामिल हुई l महापंचायत में पथर्रा में निर्माणाधीन एथेनाल प्लांट, सरदा में स्थापित स्पंज आयरन प्लांट, रांका में निर्माणधीन सुयश बायो फयूल्स का विरोध क़र रहे है l यह विरोध ग्राम पथर्रा में लगभग 3 महीनों से चल रहा है लेकिन किसी भी प्रकार से फैक्ट्री निर्माता एवं शासन प्रशासन के कानों में जू तक नहीं रंग रहा है को लेकर बीते सोमवार को किसान महापंचायत बुलाकर आगामी रणनीति को लेकर चर्चा किया गया। जिसमे आगामी होने वाले त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव पथर्रा के ग्रामवासियो द्वारा बहिस्कार करने का निर्णय लिया गया l वही कुछ और पंचायत में चुनाव बहिस्कार करने की रणनीति पर चर्चा की जा रही है l
किसान अमिताभ मिश्रा ने कहा की रांका के ग्रामवासियों द्वारा एथेनॉल प्लांट के विरोध में एक महापंचायत का आयोजन किया गया है, हम लोग जो पिछले 100 दिनों से आंदोलन कर रहे हैं, यह ऐथेनॉल प्लांट हटाने के लिए तो उसी विषय को लेकर सोमवार को सब आपसी चर्चा करके कैसे आंदोलन को सफल किया जाए, और यह प्लांट कैसे जल्द से जल्द बंद हो इसके लिए हम लोग आए हुए हैं, और अपनी बात रख रहे हैं, साथ ही उन्होंने कहा की पथर्रा आगामी त्रिस्तरीय पंचायत चुनाव बहिस्कार करने का निर्णय भी लिया जा चूका है ।
आखिर क्यों नहीं हो पा रही है कार्यवाही, प्लांट संचालको को किसका है संरक्षण ?
बेरला ब्लॉक के भींभौरी के पिरदा स्थित स्पेशल ब्लास्ट कंपनी में हुए हृदय विदारक खतरनाक विस्फोटक से क्षेत्र के लोग आहत हुए और पथर्रा में निर्माणाधीन एथेनाल प्लांट, सरदा में स्थापित स्पंज आयरन प्लांट, रांका में निर्माणधीन सुयश बायो फयूल्स का विरोध कर रहे हैं। जिनका शासन प्रशासन और फैक्ट्री मालिकों पर तनिक भी असर नहीं दिख रहा है। जिसको लेकर बीते सोमवार को महापंचायत का आयोजन किया गया। आखिरकार यह समझ नहीं आता की क्या धरने पर बैठे किसानों को उनकी मांगो को पूरा नहीं किया जाएगा क्या किसान ऐसी ही बैठे रहेंगे? इस सबकी जवाब दे ही किसकी है? इसकी जिम्मेदार कौन? अपने हक की लड़ाई लड़ने के लिए भारतीय संविधान भी अनुमति देता है जिससे पूरा देश चलता है। प्रशासन के द्वारा समय-समय पर आश्वासन होती जाती है किंतु किसी भी प्रकार से निर्णय पर पहुंच पाना असंभव सा बना हुआ है ऐसे में दिन रात धरने पर बैठे किसान का क्या होगा?