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लापता पत्रकार की मिली लाश…छत्तीसगढ़ में पत्रकार की हुई हत्या से पत्रकारों में शोक की लहर…

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एक जनवरी से लापता पत्रकार और यूट्यूबर मुकेश चंद्राकर की हत्या, सेप्टिक टैंक में छिपा दिया था लाश, जांच में जुटी पुलिस…

दैनिक मूक पत्रिका बीजापुर – बस्तर के प्रसिद्ध यूट्यूबर और पत्रकार मुकेश चंद्राकर की हत्या के बाद छिपाई गई लाश का खुलासा आज पुलिस द्वारा किया गया। मुकेश चंद्राकर, जो ‘बस्तर जंक्शन’ नामक यूट्यूब चैनल के एडमिन थे, एक जनवरी से लापता थे। उनकी अचानक गायब होने की खबर से परिवार और स्थानीय समुदाय में बेचैनी फैल गई थी। परिजनों ने बीजापुर पुलिस से मामले की शिकायत की, जिसके बाद मुकेश चंद्राकर की तलाश शुरू की गई। पुलिस द्वारा की गई जांच के बाद कुछ अहम सुराग हाथ लगे, जिनकी मदद से बीजापुर के एक ठेकेदार के सेप्टिक टैंक में लाश मिलने का सिलसिला शुरू हुआ। ठेकेदार के साथ सड़क निर्माण से जुड़े भ्रष्टाचार के मुद्दे को लेकर मुकेश चंद्राकर के विवाद की संभावना जताई है। यह आशंका है कि इस विवाद के कारण मुकेश चंद्राकर क की गई और उनकी लाश को सेप्टिक टैंक में छिपा दिया गया था।

बीजापुर पुलिस ने अब तक इस मामले के कुछ अहम पहलुओं का खुलासा किया है, लेकिन जांच जारी है। पुलिस के अनुसार, सड़क निर्माण के दौरान हुए भ्रष्टाचार को लेकर मुकेश चंद्राकर ने अपनी जांच रिपोर्ट्स और सामग्री साझा की थी, जो ठेकेदारों और अधिकारियों के लिए असहज हो सकती थीं। इससे उनकी हत्या के पीछे का कारण साफ होता है कि शायद यह हत्या मुकेश चंद्राकर के सख्त रुख और भ्रष्टाचार के खिलाफ उनके कदम उठाने के कारण हुई।

मुकेश चंद्राकर का ‘बस्तर जंक्शन’ यूट्यूब चैनल बस्तर की वर्तमान घटनाओं और स्थानीय मुद्दों पर सटीक और गंभीर रिपोर्टिंग के लिए जाना जाता था। उनकी हत्या ने न केवल बस्तर क्षेत्र बल्कि पूरे छत्तीसगढ़ में पत्रकारिता की स्वतंत्रता और सुरक्षा को लेकर गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं। उनकी मौत एक बड़ी चेतावनी बनकर सामने आई है, जिससे यह स्पष्ट होता है कि पत्रकारों और सामाजिक कार्यकर्ताओं को अपनी आवाज़ उठाने की कीमत चुकानी पड़ सकती है। इस घटनाक्रम के सामने आने के बाद स्थानीय प्रशासन और पुलिस ने इस मामले की गहरी जांच शुरू कर दी है। पुलिस ने जांच में तेजी दिखाई है और इस जघन्य हत्या के सभी पहलुओं को सुलझाने के लिए ठेकेदार और अन्य संदिग्धों से पूछताछ की जा रही है। इसके अलावा, पत्रकारों की सुरक्षा और उनके अधिकारों के प्रति सरकार और प्रशासन को गंभीर कदम उठाने की आवश्यकता भी महसूस की जा रही है।

मुकेश चंद्राकर की मौत ने यह भी साबित किया है कि भ्रष्टाचार और अन्य ग़लत गतिविधियों को उजागर करने वाले पत्रकारों के लिए यह पेशा कभी भी जोखिम से मुक्त नहीं रहा। अब यह देखना होगा कि इस मामले में न्याय दिलवाने के लिए कितनी ठोस कार्रवाई की जाती है और क्या पत्रकारों की सुरक्षा के लिए कोई ठोस कदम उठाए जाएंगे। मुकेश चंद्राकर की हत्या ने पूरे बस्तर और राज्य में एक नया मोड़ ला दिया है, और यह उम्मीद जताई जा रही है कि पुलिस इस जघन्य अपराध का खुलासा पूरी तरह से करेगी।

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